महर्षि की सीख और कार्य !
१. रामनाथी, गोवा स्थित सनातन का आश्रम जैसे श्रीकृष्ण का वृंदावन है;
क्योंकि वहां गोप-गोपियों को अत्यधिक आत्मीयता से संभालनेवाली वृंदा है !
चैतन्य का स्रोत रामनाथी, गोवा स्थित सनातन का आश्रम, क्षीरसागर में निद्रिस्त श्रीमत् नारायण का आश्रम पर पूरा ध्यान है । इस आश्रम में रहनेवाली वृंदा (महर्षि सनातन की पू. (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ को वृंदा कहते हैं ।) सर्व गोप-गोपियों को अत्यधिक आत्मीयता से संभाल रही है । उनकी सर्व प्रकार से चिंता कर रही है । इसलिए रामनाथी आश्रम वृंदावन है । रामनाथी में प्रत्यक्ष स्वयं श्रीमत् नारायण परम गुरुजी के रूप में वास कर रहे हैं । भूतल पर ऐसा आश्रम अन्य कहीं नहीं है । (महर्षि द्वारा किया गया रामनाथी आश्रम का यह वर्णन सुनकर भावजागृति हो रही थी और रामनाथी आश्रम को आंतरिक त्रिवार वंदन किया जा रहा था । आंखों में आए भावाश्रुआें में धूसर दिखाई देनेवाला रामनाथी आश्रम उसमें भी अत्यंत प्रकाशमान दिखाई दे रहा था । – (पू.) श्रीमती अंजली गाडगीळ)
२. रामनाथी आश्रम – साक्षात श्रीमत् नारायण का वैकुंठ लोक !
रामनाथी आश्रम साक्षात श्रीमत् नारायण का वैकुंठ लोक है; क्योंकि अवतार लीला करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण यहां प्रत्यक्ष विराजमान हैं ।
३. रामनाथी आश्रम अर्थात अमृताश्रम !
परम गुरुजी (परात्पर गुरु डॉक्टरजी को महर्षि परम गुरुजी संबोधित करते हैं ।), कार्तिकपुत्री (पू. (श्रीमती) अंजली गाडगीळ को महर्षि कार्तिकपुत्री के नाम से पुकारते हैं; क्योंकि इनका जन्मनक्षत्र कृत्तिका है ।) और उत्तरापुत्री (पू. (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ को महर्षि कभी-कभी उत्तरापुत्री के नाम से पुकारते हैं; क्योंकि पू. (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ का जन्मनक्षत्र उत्तराफाल्गुनी है ।) को संसार में घटनेवाली घटनाआें की जानकारी होती है ।
इन तीनों के अमृततुल्य वात्सल्य पर यह आश्रम खडा है । इसलिए रामनाथी आश्रम एक प्रकार से अमृताश्रम ही है ।
४. रामनाथी आश्रम ओंकाराश्रम है; क्योंकि आश्रम में
और आश्रम के आसपास सर्वत्र ॐकार ही है, ऐसा महर्षि ने कहना
नाडीवाचन क्रमांक ५५ में महर्षि कहते हैं, परम गुरुजी के आश्रम में जो यज्ञयाग होते हैं, उनमें श्री गणेश, हनुमान आदि अनेक देवताआें के दर्शन होते हैं । (यह सत्य है । आज तक आश्रम में संपन्न हुए सोमयाग, प्रव्यर्ग विधि, आयुष्कामेष्टी यज्ञ, गणपती उच्छिष्ट होम, राक्षोघ्न इष्टि आदि यागों में अनेक साधकों को देवताआें के दर्शन हुए हैं । देवताआें के ये दर्शन हमने प्रत्यक्ष छायाचित्रों में चित्रबद्ध किए हैं । – (पू.) श्रीमती गाडगीळ) आगे भी किस यज्ञ में किस देवता का रूप आपको दिखाई देनेवाला है, इसकी जानकारी हम आपको पहले ही देंगे । यज्ञयागों में सर्वाधिक ॐकार का दर्शन होता है । (यह सत्य है । – (पू.) श्रीमती गाडगीळ); क्योंकि यह ॐकाराश्रम है । आश्रम में और आश्रम के आसपास सर्वत्र ॐकार ही हैं और यह सत्य ही है ।
५. रामनाथी आश्रम ओंकारमय होने के स्थूल कारण
५ अ. परात्पर गुरु डॉक्टरजी के अथक परिश्रम से यह आश्रम बना होना
महर्षि ने रामनाथी आश्रम का अनेक प्रकार से वर्णन करने का कारण है, प.पू. डॉक्टरजी ने अथक परिश्रम कर यहां साधकों को घडा है, अर्थात बनाया है । यहां साधक घडने और उनसे गत १२ – १३ वर्ष कठोर साधना करवाने के कारण ही रामनाथी आश्रम में इतना चैतन्य निर्माण हुआ है ।
५ आ. साधक के जीवन को दैवी आकार प्राप्त करवाने के लिए अपार परिश्रम किया जाना
रामनाथी आश्रम में केवल अध्यात्म की सहायता से साधक के जीवन को दैवी आकार दिया जाता है । ऐसा दैवी आकार जिसमें से नर से नारायण बनता है । यहां आकर अनेक जनों का उद्धार हो गया है । प्रत्येक साधक का वर्तन, आचार और विचार आदर्श ही होना चाहिए, इस ओर आश्रम में विशेष ध्यान दिया जाता है । आश्रम में २४ घंटे दैवी अनुसंधान में रहना सिखाया जाता है ।
५ इ. कार्य बढाने की अपेक्षा साधक घडने पर प.पू. डॉक्टरजी द्वारा बल दिए जाने के कारण कार्य अपनेआप ही बढते जाना
स्वभावदोष और अहं निर्मूलन प्रक्रिया के कारण मानवी देह में दैवी स्पंदन बढते हैं । प.पू. डॉक्टरजी सदैव कहते हैं, कार्य तो ईश्वर ही करनेवाले हैं; परंतु साधक घडना महत्त्वपूर्ण है । कार्य बढाने की अपेक्षा साधकों को घडने हेतु परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने बल दिया है । परिणामस्वरूप कार्य अपनेआप बढता गया और अब तो वह विश्वव्यापक हो गया है; क्योंकि अब प्रत्यक्ष ईश्वर ने ही यह कार्य गोवर्धन पर्वत के समान उठा लिया है ।
५ ई. रामनाथी आश्रम अब सर्व संत, महात्मा और महर्षि की भी प्रशंसा का पात्र होना
प.पू. डॉक्टरजी द्वारा इतने वर्ष साधकों के लिए किए गए अपार परिश्रम और उससे मिले हुए देवताआें के आशीर्वाद का यह फल है । क्यों नहीं तब रामनाथी आश्रम आेंकारमय होगा ? इसीलिए अनेक संत, महात्मा और महर्षि भी रामनाथी आश्रम की प्रशंसा कर रहे हैं; क्योंकि वह प्रशंसा करने योग्य ही है ।
५ उ. सनातन के श्रद्धास्थान प.पू. भक्तराज महाराजजी के आशीर्वाद से संपूर्ण विश्व के लिए अध्यात्म के विश्वदीप स्वरूप नामरूप हुआ रामनाथी आश्रम !
सनातन के श्रद्धास्थान प.पू. भक्तराज महाराजजी का आशीर्वाद भी अब सत्य होता दिखाई दे रहा है । प.पू. बाबा (प.पू. भक्तराज को सब प.पू. बाबा कहते थे ।) एक बार बोले थे कि, आगे चलकर यह अध्यात्म के विश्वदीप के नाम से विश्व में प्रसिद्ध होगा और अब वैसा ही घट रहा है । प.पू. बाबा और महर्षि के आशीर्वाद से संपूर्ण संसार में आश्रम प्रसिद्ध हो रहा है ।
प्रार्थना !
अत्यधिक आंतरिक कृतज्ञभाव से कहती हूं कि, चैतन्य से जीवित हुई रामनाथी आश्रम जैसी वास्तु को और वास्तु में प्राण डालनेवाले परात्पर गुरु प.पू. डॉक्टरजी के चरणों में हम साधकों का कोटि-कोटि प्रणाम !
– (पू.) श्रीमती अंजली गाडगीळ, ईरोड, तमिलनाडु (३०.१.२०१६, सायं. ६.४१)