एथेन्स (ग्रीस) : ५० वर्ष पूर्व ग्रीस राजघराने के सदस्यों ने कांची परमाचार्य प.पू. चंद्रशेखर सरस्वती स्वामीगल से मचिलीपट्टणम में भेंट की थी । यह परिवार ईश्वर की खोज में साधक बनकर यहां आया था । उनकी आध्यात्मिक यात्रा उच्च कोटि की थी । तभी से प्रत्येक वर्ष यह परिवार कांची मठ में आयोजित किए जानेवाले कार्यक्रम में सहभागी होता आया है ।
गहरे लाल रंग की साडी पहने हुए और माथे पर कुमकुम लगाए राजकन्या आयरीन ने पिछली स्मृतियों को याद करते हुए कहा, ५० वर्ष पूर्व मचिलीपट्टणम् में हमने परमाचार्यजी से भेंट की थी । आंध्रप्रदेश में पुन: आने पर मुझे बहुत आनंद हो रहा है । भारतीय तत्वज्ञानी टी.एम.पी. महादेवन के कारण हमें भारतीय दर्शन की श्रेष्ठता ज्ञात हुई । पिछले ५० वर्षों से हमारा परिवार तत्वज्ञान पर परिषदों और बैठकों का आयोजन कर रहा है । वेद और भारतीय तत्वज्ञान ही विश्व को शांति का मार्ग दिखा सकते हैं । वेद, ज्ञान के बहुत बडे स्रोत हैं । वेद प्रत्येक के लिए हैं । वैदिक जीवन का अनुसरण करने पर वैश्विक शांति स्थापित हो सकती है । पू. विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल ने बताया कि वेद प्रत्येक धर्म का सार हैं । प्रत्येक नागरिक को गो रक्षा करनी चाहिए ।