१. निद्रा से संबंधित विकार
अ. अनिद्रा
१. श्री हनुमते नमः (वायु),
२. श्री दुर्गादेव्यै नमः(तेज),
३. ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त’ (देवता : श्री दुर्गादेवी, तत्त्व : तेज; देवता : दत्त, तत्त्व : पृथ्वी, आप),
४. भर्गो (तेज),
५. ई (देवता : श्रीराम, तत्त्व : आप),
६. यं (वायु),
७. रं (तेज),
८. ॐ (आप, तेज),
९. द्विम् (आप, तेज),
१०. चतुर् (*),
११. षट् (वायु) तथा
१२. सप्तन् (तेज)
विशेष न्यासस्थान : मणिपुरचक्र
कुछ सूचनाएं
१. अधिकतर नामजपों के आगे कोष्ठक में उस नामजप से संबंधित महाभूत (तत्त्व) बताए हैं । उस तत्त्व के आधार पर मुद्रा आैर न्यास जानने की क्रिया सूत्र ‘२’ में बताई है । कुछ नामजपों के आगे ‘*’ संकेत है । उन नामजपों के समय की जानेवाली सामान्य मुद्रा के
विषय में विश्लेषण सूत्र ‘२’ में किया है ।
२. न्यासस्थान (न्यास करने हेतु आवश्यक स्थान) जानने की क्रिया सूत्र ‘२’ में बताई है । विकारसूची में दिए कुछ विकारों में ‘विशेष
न्यासस्थान’ दिया है । इसका विश्लेषण भी सूत्र ‘२’ में किया है ।