वंदनीय,
प.पू. श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती स्वामीजी,
(जगद्गुरु शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी के उत्तराधिकारी)
कांची कामकोटी पीठ,
आपके चरणोंमे सादर प्रणाम !
कांची कामकोटी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी को आज सिद्धावस्था प्राप्त होने का समाचार मिला । यद्यपि, आज से, शंकराचार्य हमारे बीच शरीररूप में नहीं होंगे, फिर भी उनका आदर्श और तत्त्वज्ञान अखिल मानवजाति के उद्धार हेतु सतत मार्गदर्शन करता रहेगा । उच्च कोटि के संत देहावसान के पश्चात भी सूक्ष्म रूप में कार्यरत रहते हैं । यद्यपि, लौकिक अर्थ से शंकराचार्य हमारे साथ सदेह नहीं रहेंगे; तथापि उनके सूक्ष्म रूप की अनुभूति भक्तों को होती रहेगी । फिर भी, यह सत्य है कि उनके देहधारी अस्तित्व का आनंद आज के पश्चात कभी नहीं लिया जा सकेगा । उनके प्रत्यक्ष अस्तित्व के अभाव का खेद तो होगा ही ।
शंकराचार्यजी से सनातन को धर्मकार्य करने हेतु ऊर्जा मिली !
जगद्गुरु शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी और सनातन संस्था के बीच का स्नेह बहुत पुराना है । शंकराचार्यजी को सनातन संस्था और साधकों के विषय में अतीव ममता थी । इस ममता के ही कारण उन्होंने वर्ष २००३ में सनातन आश्रम, फोंडा (गोवा) और वर्ष २००५ में सनातन आश्रम, देवद, पनवेल (रायगड, महाराष्ट्र) को भेंट देकर, सनातन का कार्य सफल होने के लिए आशीर्वाद दिया था । सनातन के साधक जब भी धर्मजागृति का कोई कार्य लेकर स्वामीजी के पास जाते थे, तब-तब वे उन्हें आशीर्वाद अवश्य देते थे । यह ऋणानुबंध पिछले १५ वर्षों से था । स्वामीजी ने सनातन को पितासमान स्नेह दिया और उससे हमें धर्मकार्य करने के लिए ऊर्जा मिलती रही ।
स्वामीजी का हिन्दू धर्म और हिन्दुआें के हित में किया गया अविरत कार्य, हिन्दू समाज पर असीम उपकार ही है । इस उपकार के प्रति कृतज्ञता केवल शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना पर्याप्त और उचित भी, न होगा । जब प्रत्येक व्यक्ति उनके बताए तत्त्वज्ञान के अनुसार आचरण कर, स्वयं को ईश्वर से जोडने के लिए प्रयत्नशील रहेगा, तभी उन्हें हमारी खरी वंदना होगी !
आपका विनम्र,
sd/-
डॉ. जयंत बाळाजी आठवले,
संस्थापक, सनातन संस्था,
रामनाथी, फोंडा-गोवा.