१. अस्थि और स्नायु तंत्र के विकार
अ. हड्डियों के विकार
अ १. हड्डियों में वेदना
१. श्री हनुमते नमः (वायु),
२. ॐ शंशनैश्चराय नमः (ग्रह : शनि, *) तथा
३. हं (आकाश)
अ २. संधिवात
१. श्री विष्णवे नमः (देवता : श्रीविष्णु, तत्त्व : आप),
२. श्रीराम जय राम जय जय राम (आप),
३. श्री हनुमते नमः (वायु),
४. श्री वरुणदेवाय नमः (आप),
५. श्री सूर्यदेवाय नमः (तेज),
६. वं (आप),
७. हं (आकाश),
८. ह्रूं (*),
९.ॐ (आप, तेज) तथा
१०. द्विम् (आप, तेज)
आ. स्नायुआें के विकार
आ १. स्नायु की जकडन/स्नायु में गोला आना (मसल क्रैम्प /स्पाजम)
१. श्री हनुमते नमः (वायु),
२. ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – ॐ नमः शिवाय – श्री गणेशाय नमः’ (देवता : श्री दुर्गादेवी, तत्त्व : तेज; देवता : शिव, तत्त्व : आकाश; देवता : श्री गणपति, तत्त्व : पृथ्वी),
३. तत् (तेज),
४. अ (देवता : श्री दुर्गादेवी, तत्त्व : तेज),
५. हं (आकाश) तथा
६. एकम् (आकाश)
विशेष न्यासस्थान : विशुद्धचक्र से एक इंच ऊपर
२. मेरुदंड, कशेरुकाआें के जोड (वर्टिबल जॉइंट्स)
आैर पीठ की मांसपेशियों के विकार
अ. कशेरुकाआें में वेदना
१. श्री हनुमते नमः (वायु) व
२. हं (आकाश)
आ. मेरुदंड के सर्व विकार
१. ॐ धन् धनुर्धरीभ्यान् नमः(देवता : श्री दुर्गादेवी, तत्त्व : तेज),
२. ‘ॐ धन् धनुर्धरीभ्यान् नमः -ॐ पाम् पार्वतीभ्यान् नमः’ (देवता : श्री दुर्गादेवी, तत्त्व : तेज),
३.‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – ॐ नमः शिवाय’ (देवता : श्री दुर्गादेवी, तत्त्व :तेज; देवता : शिव, तत्त्व : आकाश),
४. ह्रौं (*) तथा
५. ह्रं (*)
कुछ सूचनाएं
१. अधिकतर नामजपों के आगे कोष्ठक में उस नामजप से संबंधित महाभूत (तत्त्व) बताए हैं । उस तत्त्व के आधार पर मुद्रा और न्यास जानने की क्रिया सूत्र ‘२’ में बताई है । कुछ नामजपों के आगे ‘*’ संकेत है । उन नामजपों के समय की जानेवाली सामान्य मुद्रा के
विषय में विश्लेषण सूत्र ‘२’ में किया है ।
२. न्यासस्थान (न्यास करने हेतु आवश्यक स्थान) जानने की क्रिया सूत्र ‘२’ में बताई है । विकारसूची में दिए कुछ विकारों में ‘विशेष
न्यासस्थान’ दिया है । इसका विश्लेषण भी सूत्र ‘२’ में किया है ।