बच्चों की आध्यात्मिक उन्नति हेतु गुरुकुल शिक्षापद्धति की आवश्यकता
१. प्राचीन काल में गुरुकुल में बच्चों को पहले अध्यात्म की शिक्षा और
उसके पश्चात कुल ६४ कलाआें में से २-३ कलाआें की शिक्षा दी जाती थी
पहले उपनयन संस्कार के पश्चात बच्चों को शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल भेजा जाता था । गुरुकुल में बच्चों को पहले अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी । तत्पश्चात उनकी रुचि तथा योग्यता के अनुसार उनको कुल ६४ कलाआें में से २-३ कलाआें की शिक्षा दी जाती थी । कला की यह शिक्षा उनके लिए गृहस्थी तथा जीविका का साधन बन जाती थी । उनको यह शिक्षा देते समय उसमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण कैसे रखना चाहिए, यह भी गुरुकुल में सिखाया जाता था ।
२. बच्चों में अहंभाव बढने के पहले ही उनको अध्यात्म की शिक्षा
देने से उनको सात्त्विक संस्कार मिलकर उनकी आध्यात्मिक उन्नति होना
बच्चों में ६ वर्ष की आयु के पश्चात अहं का विकास होता है । एक बार उनमें अहं बढने के पश्चात उनको संस्कारित करना लगभग असंभव होता है; इसीलिए उनमें अहंभाव बढने के पहले ही उनको अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी । इससे उनको सात्त्विक संस्कार मिलते थे । बचपन से ही उनको साधना के संस्कार मिलने के कारण, उनमें साधना के प्रति रुचि उत्पन्न होती थी और उनकी आध्यात्मिक उन्नति होती थी । अहंभाव बढने से पहले ही साधना में आगे जाना सुलभ होता है । साथ ही गुरुकुल का वातावरण सात्त्विक होने के कारण साधना के लिए पोषक होता था ।
३. आज बच्चों को धर्म की शिक्षा न मिलने से उनका पतन होना
आज कहीं पर भी बच्चों को अध्यात्म की शिक्षा ही नहीं दी जाती, साथ ही घर में रज-तमात्मक वातावरण और दूरदर्शन (टेलीवीजन) के कारण उनको सदैव माया के संस्कार ही मिलते हैं । अतः इससे बच्चों का अर्थात समाज का पतन हो रहा है और उससे व्यक्ति और समाज वास्तविक आनंद से विमुख हो रहे हैं ।
४. प.पू. डॉक्टर जी द्वारा प्रारंभ की गई गुरुकुल शिक्षापद्धति का भविष्य में होनेवाला समष्टि परिणाम
इसीलिए प.पू. डॉक्टरजी द्वारा सनातन संस्था में गुरुकुल शिक्षापद्धति प्रारंभ की गई है । वहां पर बच्चों को नैतिक मूल्यों के संस्कार मिलते हैं और उससे बचपन में ही उनका आध्यात्मिक विकास होता है । ऐसे बच्चे अपनी युवावस्था में ही समष्टि संत बनकर ब्रह्मांड का उद्धार कर सकते हैं ।
– आधुनिक वैद्य सद्गुरू (डॉ.) वसंत आठवलेजी, चेंबूर (३.२.२०१२)
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
हाँ, जरुरत है.. विज्ञान युगमें सब शिक्षार्थी उल्टा दिशा में भाग रहे हैं… संस्कार लाना अब आवश्यक हो गया है
Very nice information. I really admire it.
And fell so bad that we lost such a wonderful vidhyspith because of cruel momdens. I hate Muslim