पेडणे में प्रस्तावित कार्निवल को विरोध
म्हापसा, ३० जनवरी – समस्त हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों ने राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन के नाम पर २८ जनवरी को प्रातः ११ बजे म्हापसा नगरपालिका, मुख्यद्वार पर(जहां गणपतिपूजन किया जाता है, उस स्थान पर) प्रदर्शन किया । पूरे देश के लिए यह राष्ट्रीय हिन्दु आंदोलन एक हिस्सा था । आंदोलन के समय ये मांगे की गई कि, ‘पेडणे का कार्निवल निरस्त करें । समान स्तर पर लोकसंख्या नियंत्रण तथा संतुलन हेतु त्वरित अधिनियम लागू करें । गत २७ वर्षों से विस्थापितों का जीवन व्यतीत करनेवाले काश्मिरी हिन्दुओं का पुनर्वसन करें । साथ ही उन्हें उनके अधिकार के स्वतंत्र होमलॅण्ड दीजिए । माघ मेलावे के निमित्त देश के पृथक राज्यों में होनेवाले हिन्दुओं के त्योहार तथा धार्मिक उत्सव के समय रेल तथा बस के किराए पर की जानेवाली वृद्धी त्वरित निरस्त करें ।’
शंखनाद के पश्चात् आंदोलन प्रारंभ हुआ । आंदोलन में हिन्दू जनजागति समिति; सनातन संस्था; रणरागिणी शाखा; गोमंतक मंदिर तथा धार्मिक संस्था महासंघ; पेडणे, डिचोली, म्हापसा, संभाजीनगर (वास्को) तथा सांखळी के धर्मप्रेमी एवं राष्ट्रप्रेमी सम्मिलित हुए थे । राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन की ओर से हिन्दू जनजागृति समिति की रणरागिणी शाखा की श्रीमती राजश्री गडेकर ने आंदोलन का विषय स्पष्ट किया । तत्पश्चात् सनातन के श्री. तुळशीदास गांजेकर ने ‘काश्मिरी हिन्दुओं का पुनर्वसन’ यह विषय उपस्थितों को स्पष्ट किया । लोकसंख्या संतुलन तथा नियंत्रण इस संदर्भ की जानकारी श्री. गोविंद चोडणकर ने दी । गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. जयेश थळी, शिरसई के धर्माभिमानी श्री. सत्यवान म्हामल, संभाजीनगर (वास्को) के धर्मप्रेमी श्री. हरेश कोरगांवकर, म्हापसा के धर्माभिमानी श्री. उदय मुंज ने पेडणे में संपन्न होनेवाले कार्निवल शोभायात्रा के विरोध में उपस्थितों को संबोधित किया । आंदोलन के लिए गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. चंद्रकांत (भाई) पंडित उपस्थित थे ।
उस समय श्री. सत्यवान म्हामल ने यह वक्तव्य किया कि, ‘महाशिवरात्री के दिन पेडणे में कार्निवल का आयोजन करनेवाले कार्निवल समिति का मैं निषेध व्यक्त करता हूं ।’ साथ ही श्री. हरेश कोरगांवकर ने वक्तव्य किया कि, ‘हम सभी को १३ फरवरी को मांद्रे में जाकर कार्निवल को विरोध करना चाहिए । वास्तविक सरकार ने संस्कृतिरक्षा का कार्य करना चाहिए; किन्तु सरकार संस्कृति पर संकट लानेवाला कार्य कर रही है । इस से अपनी युवा पिढी पर कुसंस्कार होकर वह भोगवाद की ओर जा रही है ।’