कॉ. गोविंद पानसरे हत्या प्रकरण
कॉ. पानसरे हत्या के संदर्भ में सनातन संस्था के एक साधक को आशंका के कारण बंदी बनाया गया।
इसी कारण वश सनातन संस्था तथा हिन्दू धर्म के विरोधक सनातन के बारे में अपप्रचार कर उधम मचा रहे हैं। वे सनातनपर अनेक मिथ्या आरोप लगा रहे हैं। उन में से एक आरोप यह है, अर्थात सनातन संस्था ब्राह्मणवादी तथा मनुवादी संस्था है !
ऐसा आरोप कर वे सनातन को प्रतिगामी फॅसिस्ट दिखाकर सनातन वर्तमान के पुरोगामी हिन्दुओंके विरोध में है, ऐसा चित्र निर्माण कर रहे हैं, और साथ ही वे सनातन के बारे में जनमत कलुषित कर महान धर्महानी कर रहे हैं !
सनातन के साधकों एवं हितचिंतकों,
इस प्रकार के मिथ्या आरोप करनेवाले तथाकथित पुरोगामियोंके इन आरोपोंका खण्डन इस प्रकार करें –
१. सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले ने सनातन संस्था में ही सभी जाति-धर्म के लोगोंको स्थान दिया है !
२. सनातन के धर्मप्रसारक रहनेवाले अनेक संत, उदा. पू. स्वातीताई खाडये, पू. नंदकुमार जाधवकाका ब्राह्मण नहीं है !
३. सनातन के ग्रंथोंकी निर्मिति सेवा में स्थित उदा. (पू.) श्री. संदीप आळशी, श्री. रोहित साळुंके भी ब्राह्मण नहीं है !
उपर्युक्त कुछ उदाहरणं प्रातिनिधिक स्वरूप के हैं। इन उदाहरणोंसे सनातन ब्राह्मणवादी तथा मनुवादी संस्था है, इस आरोप की असत्यता एवं निराधारता ध्यान में आती है।
“जो ‘ब्रह्म’ को जानता है, वह, अर्थात जो ‘साधक’ है, वही वास्तव में ‘ब्राह्मण’ !” इस तत्व के अनुसार सनातन का कार्य आरंभ है।
यह वास्तव दृढतापूर्वक बताएं तथा धर्मकर्तव्य निभाएं !
– (पू.) श्री. संदीप आळशी (२६.९.२०१५)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात