रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में तीन दिन का ‘प्रथमोपचार प्रशिक्षण शिविर’
रामनाथी (गोवा) : हालहीमें यहां के सनातन के आश्रम में हिन्दु जनजागृति समिति की ओर से तीन दिन का ‘प्रथमोपचार प्रशिक्षण शिविर’ आयोजित किया गया था । ‘प्रथमोपचार प्रशिक्षण शिविर’ के छात्रों को सनातन की सद्गुरु (श्रीमती ) बिंदा सिंगबाळ ने मार्गदर्शन किया ।अपने मार्गदर्शन में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘आगामी आपातकाल में तथा युद्ध कालावधी में सज्जन, साधक एवं संतों की रक्षा करने हेतु अपना आध्यात्मिक बल वृद्धिंगत हो; इसलिए स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया का सराव (प्रक्टीस) नियमित करना आवश्यक है । साथ ही प्रेमभाव, निरीक्षण, निर्णयक्षमता, सतर्कता तथा सीखने की वृत्ती, इत्यादि गुणों का संवर्धन करना चाहिए । यह करते समय प्रथमोपचार प्रशिक्षण के साथ हिन्दु राष्ट्र स्थापना हेतु वैद्यकीय क्षेत्र में व्यापक संगठन करना चाहिए ।’
इस शिविर में ‘दैनंदिन जीवन में भागम्भाग, साथ ही आगामी आपातकाल तथा युद्धकाल के समय आपद्पिडीतों पर अथवा रुग्णों पर उचित पद्धति से प्रथमोपचार किस प्रकार करें ? प्रथमोपचार करते समय साधना के क्या प्रयास करने चाहिए ? समाज में प्रथमोपचार प्रशिक्षणवर्ग के समय तात्त्विक विषय प्रस्तुत कर प्रशिक्षणार्थी द्वारा सराव किस प्रकार करना चाहिए ?’, इन विषयों पर प्रात्यक्षिकों के साथ मार्गदर्शन किया गया । इस शिविर में ६१ शिविरार्थी सम्मिलित हुए थे ।
इस शिविर में सनातन अध्ययन केंद्र के समन्वयक श्री. संदीप शिंदे ने ‘वैद्यकीय क्षेत्र की दुष्प्रवृत्तियों का निर्मूलन किस प्रकार करें ?’ इस विषय पर मार्गदर्शन किया । डॉ. दुर्गेश सामंत तथा डॉ. प्रकाश घाळी ने शंकानिरसन किया । ‘स्वभावदोष निर्मूलन तथा अहं निर्मूलन’ इस विषय पर ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर की कु. वैष्णवी येळेगावकर ने, तो ‘भाववृध्दी के प्रयास किस प्रकार करें ?’ इस विषय पर ६३ प्रतिशत स्तर की कु. वैष्णवी वेसणेकर ने मार्गदर्शन किया ।
‘श्वसनसंस्था का परिचय, दम घुटना तथा प्राथमिक उपचार’ इन विषयों पर श्रीमती अनुश्री गावसकर, ‘रक्तसंचार से संबंधित विकार’ इस विषय पर डॉ. (श्रीमती) अश्विनी देशपांडे, ‘मज्जासंस्था से संबंधित व्याधी’ इस विषय पर श्रीमती मृणालिनी भोसले, ‘अस्थिभंग’ इस विषय पर डॉ. अशोक शिंदे, ‘मज्जारज्जु को इजा पहुंचना’ इस विषय पर श्रीमती विदुला देशपांडे, ‘सडक अपघात में दोपहिएं से गिर गए रुग्ण का शिरस्त्राण (हेल्मेट) किसप्रकार निकालना ? तथा ‘प्राथमिक उपचार’ इस विषय पर श्रीमती जयश्री भालेराव ने मार्गदर्शन किया । ‘रुग्ण को अन्य स्थान पर लेकर जाने की कुछ पद्धतियां तथा स्ट्रेचर’ के संदर्भ में श्रीमती गावसकर ने जानकारी दी । प्रा. महावीर श्रीश्रीमाळ ने शिविर का उद्देश्य स्पष्ट किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात