युवा साधकों, पंचसूत्री के नुसार साधना के प्रयास करें ! – सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ

रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में युवा साधक प्रशिक्षण शिविर संपन्न 

बायी ओर से मार्गदर्शन करते समय सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ तथा श्रीमती संगीता घोंगाणे

रामनाथी (गोवा), २३ अक्तूबर – यहां १८ से २१ अक्तूबर इस कालावधी में आयोजित किया गया युवा साधक प्रशिक्षण शिविर उत्साही वातावरण में संपन्न हुआ । उस अवसर पर सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ ने यह मार्गदर्शन किया कि, ‘दूरदर्शन, भ्रमणभाष, इंटरनेट, साथ ही सामाजिक प्रसारमाध्यमों का (सोशल मीडिया) अनावश्यक उपयोग करने से बहिर्मुखता आती है, साथ ही कोई भी कृती तनाव से करने से साधना व्यय होती है तथा फलनिष्पत्ती भी न्यून होती है । रज-तम बढानेवाली तथा साधना व्यय करनेवाली सभी कृतियां टालें तथा ‘सुनना, स्वीकारना, सीखना, पूछना तथा आढावा देना’इस पंचसूत्रीनुसार साधना के प्रयास करें । इस शिविर की समाप्ती नहीं है, तो यह साधना के प्रयासों का प्रारंभ है, यह ध्यान में रखते हुए साधना के लिए अधिक प्रयास करें ।’ शिविर की कालावधी में युवा साधकों को ‘धर्माचरण का महत्त्व, साधना में भावजागृति का महत्त्व, अनिष्ट शक्तियों के कष्ट तथा उस पर आध्यात्मिक उपाय’ इस विषय पर मार्गदर्शन तथा सनातन प्रभात नियतकालिक के संदर्भ में जानकारी दी गई । शिविर में हुई गुंटचर्चा में ‘स्वभावदोष तथा अहं निर्मूलन प्रक्रिया के लिए स्वभावदोषों की सूचि किस प्रकार सिद्ध करें ?’, साथ ही ‘स्वभावदोष सारणी किस प्रकार लिखें ?’ इस विषय पर तात्त्विक एवं प्रायोगिक जानकारी दी गई । छोटी आयु में साधना में रस निर्माण होने के कारण आश्रमजीवन का स्वीकार करनेवाली साधिका कु. वैष्णवी येळेगांवकर, कु. मृण्मयी गांधी तथा कु. वैष्णवी वेसणेकर, साथ ही अन्य युवा साधक तथा बालसाधकों ने अपने मनोगत व्यक्त किए ।

 

जो कुछ सीखा है, वह कृती में लाना ही कृतज्ञता ! – श्रीमती संगीता घोंगाणे, प्रसारसेविका, सनातन संस्था

६९ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर होनेवाली प्रसारसेविका श्रीमती संगीता घोंगाणे ने अपने मार्गदर्शन में यह बताया कि, ‘‘शिविर में जो कुछ सीखा है, वह कृती में लाना ही गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है । ईश्वर के कार्य के लिए उसने हमें चुना है, संतों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, आश्रम में आने की संधी प्राप्त हुई; इसलिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहकर साधना के प्रयास अधिक मात्रा में करना आवश्यक है ।’’

 

क्षणिकाएं

१. युवा साधक शिविर के पृथक सत्रों में उत्साह से तथा उत्स्फूर्त रूप से सम्मिलित होकर अपनी शंकाओं का निरसन कर रहे थे ।

२. छोटी आयु से आश्रम में निवास कर सेवा करनेवाले युवा तथा बाल साधकों का मनोगत सुनने के पश्चात् अन्य युवा साधकों ने बताया कि, ‘साधना के लिए प्रेरणा प्राप्त हुई ।’

३. युवा साधकों ने स्वभावदोष हटाने के लिए शिविर में बताएं गए प्रयास त्वरित ही कृती में लाए । साथ ही शिविर में अनेक सूत्र सीखने प्राप्त हुए;
इसलिए सभी युवा साधकों की भावजागृति हो रही थी ।

 

शिविर में सम्मिलित युवा साधकों ने व्यष्टी तथा समष्टी साधना का निश्चय किया

साधना के निश्चय करते हुए कु. कु. अनमोल करमळकर

१. कु. अनमोल करमळकर – पूरे दिन का अपना नियोजन कर सेवा के लिए समय व्यतीतर करूंगा । प्रत्येक कृती को भाव के साथ जोड दूंगा । लगन से साधना करूंगा । आश्रम में जो कार्यपद्धति सीखने प्राप्त हुई, उसका पालन घर में भी करूंगा ।

२. श्री. प्रसाद वसाने – नियमित रूप से नामजप करूंगा तथा व्यष्टी साधना का आढावा दूंगा । दैनिक सनातन प्रभात के वितरण की सेवा भावपूर्ण तथा परिपूर्ण करूंगा ।

३. कु. सृष्टी तवटे – न्यूनतम दिनों में व्यष्टी साधना की घडी बिठाऊंगी । साथ ही प्रतिदिन ३ घंटे तथा छुट्टी के दिन भी सेवा करूंगी ।

४. श्री. संग्राम पवार – व्यष्टी तथा  समष्टी साधना हो; इसलिए प्रयास करूंगा ।

५. कु. शिवलिला गुब्याड – प्रति ३ घंटे पश्चात साधना का आढावा लूंगा । व्यष्टी साधना के प्रयास नियमित रूप से कर उत्तरदायी साधकों को आढावा दूंगा । अन्यों की चुका देखने की अपेक्षा अंतर्मुख रहकर साधना का प्रयास करूंगा ।

६. श्री. राहुल ढवण – चिरंतन आनंद प्राप्त हो, इसलिए साधना करना क्यों आवश्यक है ?, यह शिविर में आकर सीखने को मिला । परमपूज्य डॉक्टरजी को अपेक्षित साधना लगन से कृती में लाने के प्रयास करूंगा ।

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