रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में राष्ट्रीय स्तर
पर लेखा प्रशिक्षण तथा साधनावृद्धी शिविर संपन्न हुआ
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सनातन आश्रम, रामनाथी, १५ दिसम्बर – लेखा सेवक ने सेवा करते समय स्वयं में उपस्थित स्वभावदोष एवं अहं का नष्ट कर स्वयं में साधकत्व निर्माण हो तथा स्वयं में गुणवृद्धी हो; इसलिए यहां के सनातन आश्रम में ८ से ११ दिसम्बर की कालावधी में ४ दिन का राष्ट्रीय स्तर पर ‘लेखा प्रशिक्षण एवं साधनावृद्धी शिविर’ का आयोजन किया गया था । उस समय सनातन के सद्गुरु सत्यवान कदम ने वक्तव्य किया । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह मार्गदर्शन किया कि, ‘सेवा करते समय हम कहां न्यून हो रहे हैं, यह देखना आवश्यक है । हमें सेवा की जांचसूचि सिद्ध कर उसके अनुसार सेवा करनी चाहिए । उससे सेवा करते समय हमारी चुकाएं नहीं होंगी । स्वयं का आढावा स्वयं ही लेना चाहिए । यदि सेवा करते समय चूक हुई, तो उसके लिए खंत होनी चाहिए तथा उसके लिए प्रायश्चित्त भी करना चाहिए । सेवा परिपूर्ण करने से फलनिष्पत्ती बढती है । यह सेवा गुरुदेव की ओर से हमें आनंदप्राप्ति हेतु प्राप्त हुई है; इसलिए सभी साधकों ने लेखा सेवा में परिपूर्ण होना आवश्यक है ।’ इस शिविर में पूरे भारत के ६० साधक सम्मिलित हुए थे ।
उस अवसर पर सनातन की सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ उपस्थित थी । उस समय सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ ने यह मार्गदर्शन किया कि, ‘‘सेवा परिपूर्ण होने के लिए लेखा सेवक तथा समन्वयकों ने अपनी सेवा की व्याप्ती निकालना आवश्यक है । यदि प्रत्येक सेवा परिपूर्ण हुई, तो उसी माध्यम से भी हमारी प्रगति है ।’’ शंखनाद तथा भगवान श्रीकृष्ण को प्रार्थना कर शिविर प्रारंभ हुआ । सूत्रसंचलन कु. शिवानी शिंदे तथा श्रीमती श्रेया प्रभु ने किया । सनातन की साधिका डॉ. (श्रीमती) मधुवंती पिंगळे ने शिविर के उद्देश्य के बारें में जानकारी दी ।
क्षणिकाएं
१. लेखा सेवा करते समय कार्य पद्धति किस प्रकार होनी चाहिए, सनातन प्रभात नियतकालिकों के वर्गणीदार बढाने के लिए किस प्रकार प्रयास करने चाहिए, इस संदर्भ में मार्गदर्शन किया गया ।
२. लेखा सेवा करते समय स्वभावदोषों के कारण हम कहां न्यून हो रहे हैं, इसका चिंतन कर स्वभावदोष निर्मूलन करने हेतु क्या प्रयास करने चाहिए, इस संदर्भ का मार्गदर्शन भी शिविर में किया गया ।