हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करना, ही भारत की सर्व
समस्याओं का उपाय है तथा यह उपाय मतपेटी से अथवा
राजनेताओं की सहायता से नहीं, तो संतों के आशीर्वाद से साध्य होगा !
‘विश्व में जनतंत्र का सबसे अधिक पाखंडीपन भारत में दिखाई दे रहा है । इस बात के लिए अधिक मात्रा में राजनीतिक दल उत्तरदायी हैं । अतः संपूर्ण भारत में समय-समय पर होनेवाले चुनाव में यदि कोई भी चुनकर आया, तो भी ‘भारत की परिस्थिती में कुछ परिवर्तन होगा’ इसकी अपेक्षा करना अत्यंत अनुचित तथा घातक है । इस पर एकमात्र उपाय यही है कि, संतों के नेतृत्व में सात्त्विक लोगों को संगठित होकर हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करना !
अ. अधिकांश राजनेताओं के साथ रहना अच्छा प्रतीत नहीं होेता; किंतु संतों का सहवास अच्छा प्रतीत होता है । : सनातन के आश्रम में अधिकांश समय संत आते हैं । संत आश्रम में आने के पश्चात् अथवा कहीं भी बाहर उनसे भेंट होने के पश्चात् साधकों का भाव जागृत होना, चैतन्य, आनंद अथवा शांति का अनुभव आना, इस प्रकार की अनुभूतियां आती हैं। अतः संतसहवास लगातार प्राप्त हो, संतसेवा करने की संधी प्राप्त हो,’ ऐसी लगन निर्माण होती है ।
इस के उलट अनेक राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधियों में होेनेवाले अहं के कारण उनका सहवास अच्छा नहीं प्रतीत होता । यदि साधकों को उनका अहं सहन नहीं होता, तो क्या ईश्वर को सहन होगा ? अतएव ईश्वर राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधियों को दूर रखता हैं । ईश्वर जिन्हें दूर रखते हैं, क्या ऐसे लोगों को हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करने के लिए ईश्वर की सहायता प्राप्त हो सकती है ?
आ. राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधियों के मन में हिन्दु राष्ट्र की स्थापना हो, ऐसा विचार भी नहीं आता तथा संत ही उस संदर्भ में सक्रिय रहते हैं । : रज-तम प्रधान राजनेताओं के मन में हिन्दु राष्ट्र की स्थापना हो, ऐसे विचार भी मन में नहीं आते; क्योंकि उनके मन में अपना स्वयं का राज्य होने की इच्छा रहती है । सत्त्वप्रधान संतों के मन में ‘हिन्दु राष्ट्र की स्थापना हो’, ऐसे विचार आते हैं । संत सर्वस्व का त्याग करते हैं । ‘सर्व ईश्वर का ही है ।’ ऐसा उनका भाव रहता है; इसलिए उनके द्वारा हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करने के लिए सहायता होगी । संत अपने स्तर के अनुसार स्थल में सहायता, धार्मिक विधी, संकल्प, आशीर्वाद तथा अस्तित्व , इस प्रकार के पृथक माध्यमों द्वारा सहायता करते हैं । अब जैसे जैसे आपातकाल निकट आ रहा है, वैसे वैसे सनातन संस्था को सहायता करनेवालों की संख्या भी बढ रही हैं ।
इ. हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करने के लिए राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधी नहीं, तो संत ही सक्षम हैं । : स्थूल की कोई भी बात घटने से पूर्व वह सूक्ष्म में घटती है । इस नियमानुसार स्थूल में हिन्दु राष्ट्र की स्थापना होने से पूर्व प्रथम वह सूक्ष्म में होनी चाहिए । अनिष्ट शक्तियों के विरुद्ध का सूक्ष्म का यह लढा संत ही लड सकते हैं, राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधी नहीं ! अतएव हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करने के लिए राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधी नहीं, तो संत ही सक्षम हैं ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवलेजी