संत नामदेव के भक्त ह.भ.प. प्रकाश निकते गुरुजी
द्वारा संपादित ‘संत नामदेव अभंग चिंतनिका’ इस ग्रंथ का प्रकाशन समारोह
पंढरपुर : यहां के शासकीय वसाहत के श्री गणेश मंदिर ट्रस्ट में ह.भ.प. प्रकाश निकते गुरुजी द्वारा संपादित किए गए ‘संत नामदेव अभंग
चिंतनिका’ इस ग्रंथ का प्रकाशन समारोह संपन्न हुआ । उस समय दैनिक पंढरी संचार के पत्रकार तथा संपादक श्री. बाळासाहेब बडवे वक्तव्य कर रहे थे । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह प्रशंसोद्गार व्यक्त किए कि, ‘गोवा के फोंडा के निकट होनेवाले रामनाथी के सनातन आश्रम में प्रत्येक व्यक्ति ने एक बार अवश्य जाना चाहिए । वहां परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी हैं । वहां साक्षात् ज्ञान, भक्ति एवं वैराग्य का दर्शन होता है । एक बार वहां जाओगे, तो प्रति तीन माह के पश्चात् वहां जाने की इच्छा होगी, ऐसा ईश्वर वहां है ।’
इस ग्रंथ का प्रकाशन ह.भ.प. जयवंत महाराज बोधले के हाथों किया गया । व्यासपीठ पर भूतपूर्व विधायक सुधाकरपंत परिचारक, भागवताचार्य ह.भ.प. वा.ना. उत्पात, ह.भ.प. बाळशास्त्री हरिदास इत्यादि उपस्थित थे । उस समय जनसमुदाय अधिक संख्या में उपस्थित था ।
उस समय ह.भ.प. जयवंत महाराज बोधले ने यह प्रतिपादित किया कि, ‘ह.भ.प. प्रकाश निकते गुरुजी के कार्य की ओर देखने के पश्चात् यह प्रतीत होता है कि, प्रतिकूलता को प्रतिकूल कहने की अपेक्षा उसमें परिवर्तन करते हैं, वहीं वास्तविक रूप से संत होते हैं ।’ तत्पश्चात्सु धाकरपंत परिचारक ने बताया कि, ‘संतों के सहवास में व्यक्ति का जीवन परिवर्तित होता है । मैं भी निरंतर सतों के सहवास में रहता हूं । यदि संत-सज्जनों के सहवास का महत्त्व अभ्यास पूर्वक पढेंगे, तो बचेंगे तथा बचने के लिए संत नामदेव अभंग चिंतनिका है ।’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात