साधकों के लिए सूचना एवं पाठक,
शुभचिंतक, जिज्ञासु एवं धर्मप्रेमियों से विनम्र अनुरोध !
१. प्राकृतिक आपदाआें के कारण महामारी फैलकर औषधियों की कमी होने पर
औषधियों के संदर्भ में आत्मनिर्भर बनने हेतु संकटकाल के पहले ही वनौषधियों का रोपण करना आवश्यक !
बाढ, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाआें के पश्चात सर्वत्र बडी मात्रा में महामारी फैलती है । जनजीवन एवं यातायात व्यवस्था प्रभावित होने के कारण सर्वत्र औषधियां उपलब्ध नहीं हो पातीं । कभी सीमा पर युद्धजन्य स्थिति में शासन के पास उपलब्ध औषधियों की आपूर्ति सैनिकों को की जाए या जनता को ?, यह प्रश्न उत्पन्न होता है और स्वाभाविक रूप से सभी सुविधाएं सेना को प्रदान की जाती हैं । कुछ समय पहले नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में १० सहस्र से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी । वहां भी औषधियों की अत्यधिक कमी अनुभव हुई । ऐसे समय शासन व्यवस्था पर निर्भर न रहते हुए औषधियों के संदर्भ में आत्मनिर्भर बनें । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अभी से, कम से कम स्वयं के लिए तो कुछ औषधीय वनस्पतियों का रोपण करना चाहिए ।
२. लोगो, घरेलू औषधियों के महत्त्व को समझें और अपने घर में वनौषधियों का रोपण करें !
युद्धकाल में डॉक्टर तथा औषधियां उपलब्ध न होने से स्वास्थ्य संकट में पड सकता है । ऐसे समय अपने पास घरेलू औषधियां हों, तो उनका उपयोग किया जा सकता है । ऐसी औषधियां तत्काल उपलब्ध होने हेतु प्रत्येक को अपनी क्षमता के अनुसार वनौषधियों का रोपण करना चाहिए । अपने घर के आंगन में अथवा छज्जे पर हम निर्गुंडी, अजवायन, तुलसी, गुडहल, अडूसा जैसी औषधियों का रोपण कर सकते हैं । नगर में अधिकांश लोग सदनिकाआें (फ्लैटस) में अथवा किराए के घरों में रहते हैं । वे गमलों में कुछ चुनी हुई औषधीय वनस्पतियां उगा सकते हैं ।
३. बिना किसी उपयोग की परती भूमि रखने की अपेक्षा उसमें वनौषधियों का रोपण करें !
कुछ लोगों के पास बडी मात्रा में बिना किसी उपयोग की परती भूमि होती है । उस भूमि पर अत्यल्प परिश्रम तथा व्यय में औषधीय वनस्पतियों का रोपण किया जा सकता है ।
भविष्य में वनौषधियों के रोपण से मिलनेवाले अच्छे परिणामों को ध्यान में रखते हुए ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से एक उपक्रम आरंभ किया गया है । ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की आयुर्वेद शाखा की ओर से विविध जनपदों के स्थानीय वातावरण का अध्ययन कर ‘किस प्रकार की आयुर्वेदीय औषधियों का रोपण किया जा सकता है ।’, इसकी शोधपरक जानकारी देने का नियोजन किया गया है । यह रोपण उस संबंधित क्षेत्र में रहनेवालों को व्यक्तिगत स्तर पर ही करना है ।
जो साधक, पाठक, शुभचिंतक, जिज्ञासु एवं धर्मप्रेमी पौधारोपण करने के इच्छुक हैं, वे इस संदर्भ में निम्नांकित जानकारी दें –
जिन्हें वनौषधियों के संदर्भ में विशेष जानकारी हो अथवा जो वनौषधियों के रोपण हेतु इच्छुक हैं, वे [email protected] संगणकीय पते पर अथवा निम्नांकित डाक पते पर जानकारी भेजें । यदि इसमें कोई शंका हो, तो सचल-दूरभाष क्रमांक ८६००९३५५३३ पर संपर्क करें ।
(डाक हेतु पता : वैद्य मेघराज पराडकर, ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा.)
– (सद्गुरु) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२३.९.२०१७)