अ. आगामी भीषण आपातकालका विचार कुछ वर्ष पहले ही कर
आपातकालमें जीवनरक्षाके लिए उपयोगी विविध उपचार-पद्धतियोंके
सम्बन्धमें जानकारी जुटानेवाले एकमात्र सन्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !
वर्तमानमें सम्पूर्ण जगतमें प्राकृतिक आपदाएं बढ रही हैं और भविष्यमें इसकी मात्रा और बढेगी । कुछ सन्तोंने भविष्यवाणी की है कि आगामी तृतीय विश्वयुद्धमें परमाणु अस्त्रोंसे करोडों लोग मारे जाएंगे । परात्पर गुरु डॉक्टरजी जब शीव, मुंबईमें रहते थे, तबसे उन्होंने आयुर्वेद, योगासन, रेकी जैसी विविध उपचार-पद्धतियों पर अनेक कतरनें संग्रहित की थीं । परात्पर गुरु डॉक्टरजीका ग्रन्थलेखनका मुख्य उद्देश्य था समाजको अध्यात्म और साधना सिखाना । ऐसेमें उन्होंने इतने पहलेसे विविध उपचार-पद्धतियोंसे सम्बन्धित कतरनें क्यों संग्रहित की थीं ? इस रहस्यका मुझे वर्ष २०१३ में कारण ज्ञात हुआ । आगामी तृतीय विश्वयुद्धके समय चिकित्सक, वैद्य, औषधियां उपलब्ध नहीं होंगी, तब प्रत्येकको अपना उपचार स्वयं ही करना होगा । यह सोचकर परात्पर गुरु डॉक्टरजीने वर्ष २०१३ में मुझे विविध उपचार-पद्धतियोंके सम्बन्धमें, आगामी आपातकालके लिए संजीवनी ग्रन्थमाला प्रारम्भ करनेके लिए कहा । अनेक वर्षोंसे संग्रहित की गई कतरनोंका उपयोग अब इस ग्रन्थमालाके लिए हो रहा है ।
भविष्यमें अखिल मानवजातिके प्राणोंकी रक्षा हो, इसके लिए आवश्यक बातोंका इतने पहलेसे विचार करनेवाले परात्पर गुरु डॉक्टरजी बहुधा पृथ्वीपर एकमेव युगद्रष्टा सन्त हैं ! – पूज्य (श्री.) संदीप आळशी, सनातनके ग्रंथ-संकलनकर्ता (५.३.२०१७)
(मार्च २०१७ तक इस ग्रन्थमालाके १९ ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । शेष ग्रन्थोंकी निर्मितिका कार्य प्रक्रियामें है । ये ग्रन्थ सदैव उपयोगमें आनेवाले हैं । )
आ. प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण, आपातकालीन सहायता
प्रशिक्षण और अग्निशमन प्रशिक्षण के विषयमें जनजागृति
किसी दुर्घटनामें घायल होना, सिलिण्डरसे रसोई गैसका रिसाव , बिजलीका शॉर्ट सर्किट आदि घटनाएं दैनिक जीवनमें कभी भी हो सकती हैं । आगामी भीषण कालमें ऐसी स्थितिमें तुरन्त सहायता मिलना कठिन होगा । ऐसी स्थितिमें तुरन्त सहायता न मिलनेसे जन-धन की बडी हानि हो सकती है । इसलिए परात्पर गुरु डॉक्टरजीके मार्गदर्शनमें प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण, आपातकालीन सहायता प्रशिक्षण और अग्निशमन प्रशिक्षण के विषयमें जनजागृति की जा रही है । इसके अन्तर्गत, ग्रन्थोंकी निर्मिति, प्रशिक्षणवर्गोंका आयोजन आदि कार्य किए जा रहे हैं ।
इ. भावी भीषण आपातकालमें जीवन-रक्षाके लिए अभीसे साधना करना
एकमात्र उपाय, यह समाजको बार-बार समझानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !
हम बिन्दुदाब, प्राथमिक उपचार, नामजप-उपचार आदि कितने भी उपचार सीख लें; परन्तु जब त्सुनामी, भूकम्प समान कुछ ही पलोंमें सहस्रों नागरिकोंके प्राण लेनेवाली महाभयंकर आपदाआेंमें बच पाए, तो ही इनका उपयोग कर सकेंगे ऐसी आपदाआेंसे हमें केवल भगवान ही बचा सकते हैं; परन्तु भगवान हमें बचाएं, ऐसी अपेक्षा हो, तो हमें साधना और भक्ति करनी होगी । इसलिए यह बात, परात्पर गुरु डॉक्टरजी पिछले अनेक वर्षोंसे समाजको बार-बार समझा रहे हैं कि आगामी भीषण आपातकालमें जीवनरक्षाके लिए अभीसे साधना करना आवश्यक है ।