‘वर्तमान में आपातकाल की तीव्रता अधिक होने से साधकों पर स्थूल से अथवा सूक्ष्म से आक्रमण होने की संभावना है । इसलिए सर्व साधक प्रतिदिन अपने साथ ‘रक्षायंत्र’ रखें । इससे संबंधित सूचना नीचे दी हैं ।
१. कोरे कागद पर रक्षायंत्र की प्रति निकालें । उस पर मध्यभाग के गोल में जहां ‘नाम’ ऐसे लिखा है, वहां अपना नाम लिखें ।
२. इस रक्षायंत्र का सतत शरीर से स्पर्श हो, इस दृष्टि से तावीज में डालें । तावीज को लाल अथवा काले रंग के डोरे से गले अथवा हाथ में बांधें ।
३. प्रतिदिन उदबत्ती की धूप दिखाकर इस यंत्र की शुद्धि करें ।
४. साधिकाएं मासिक धर्म के समय यह यंत्र साथ में न रखें । मासिक धर्म की अवधि समाप्त होने पर उदबत्ती से शुद्धि कर पहनें ।’