युगानुसार व्यष्टी आणि समष्टी प्रारब्धाचे प्रमाण : व्यक्तीचा आध्यात्मिक स्तर जितका अधिक असेल, तितके त्या व्यक्तीला समष्टी प्रारब्ध भोगावे लागण्याचे प्रमाण अल्प होत जाते.
युग | व्यष्टी प्रारब्ध (प्रमाण – टक्के) | समष्टी प्रारब्ध (प्रमाण – टक्के) |
१. सत्य | १०० | – |
२. त्रेता | ७० | ३० |
३. द्वापर | ५० | ५० |
४. कलि अ. आरंभी आ. मध्य इ. शेवट |
३० २० – |
७० ८० १०० |
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले