प्रभु श्रीराम की जीवन हम सभी को हर स्थिति में कैसे रहना है, इसका संदेश देती है । प्रभु श्रीराम स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे । राजघराने में उनका जन्म हुआ था; परंतु फिर भी भगवान श्रीराम ने पिता के वचन की पूर्ति हेतु अपना राज्याभिषेक त्याग कर, वनवास जाना स्वीकारा । वे जंगलों में बिकट परिस्थिति में रहे, अपनी पत्नी सीता को प्राप्त करने के लिए संगठन बनाकर असुरों से युद्ध किया । यह सभी प्रसंग हमें सिखाते हैं कि जब स्वयं अवतार इतने कष्ट उठाकर धर्म की पुनर्स्थापना के लिए लड सकते हैं, तो हम क्यों छोटे-छोटे कारणों से निराश होते हैं . इस लेख में श्री राम के बारे में आध्यात्मिक जानकारी दी गयी है।
जय श्रीराम !
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श्रीराम : विशेषता एवं कार्य
‘श्रीराम‘ शब्द में ‘श्री’ का अर्थ है शक्ती, सौंदर्य, सद्गुण, वैभव आदी का समुच्चय. ऐसे श्यामवर्ण, कमलनेत्र, आनंददायी एवं वात्सल्यमूर्ति श्रीरामचंद्र अर्थात अनेक भक्तों की श्रद्धाज्योति ! रामभक्ताे, श्रीराम की उपासना हम विविध प्रकार से करते है; परंन्तु श्रीरामजी के उपासना से संबंधित शास्त्र समझकर लेने से उपासना की कृतियां उचित प्रकार से करना सुलभ होता है ।
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भक्ताें के प्रिय प्रभू श्रीराम के कुछ दिव्य मंदिरों के विषय में जानकर उनकी अनुभूति लें ।
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