धर्म विरुद्ध अधर्म की लडाई !
श्री. समीर के लिए लडी गई लडाई हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए एक दीपस्तंभ !
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श्री. समीर गायकवाड के किए गए उत्पीडन का घटनाक्रम !
१५.९.२०१५ : श्री. समीर गायकवाड को विशेष जांच दल (एस्आईटी) द्वारा उनके निवास से बंधक बनाया गया ।
१६.९.२०१५ : श्री. गायकवाड के लिए अधिवक्ता की उपलब्धता न होकर उनको १४ दिन पुलिस हिरासत में रखने की एसआईटी की न्यायालय से मांग; किंतु न्यायालय की ओर से श्री. गायकवाड को ७ दिनों की पुुलिस हिरासत ।
१. तबतक कुछ पुलिसकर्मियों ने इसकी जानकारी प्रसारमाध्यमों को दी और उन्होंने तुरंत सनातन के विरुद्ध दुष्प्रचार आरंभ किया ।
२. मुंहपर बुर्का पहने हुए श्री. गायकवाड का किसी आतंकवादी की भांति प्रस्तुतीकरण !
समीर गायकवाड के अभियोग के संदर्भ में सरकारी अधिवक्ता के नियुक्ति के संदर्भ में अनुशासनहीनता !
१५.१.२०१६ : इस अभियोग में शासन की ओर से पक्ष रखने के लिए राज्य शासन द्वारा महाधिवक्ता श्रीहरि अणे को नियुक्त किया गया ।
२८.२.२०१७ : शासन की ओर से विशेष शासकीय अधिवक्ता के रूप में नियुक्ति न करते हुए ही उनके द्वारा युक्तिवाद प्रारंभ
१६.३.२०१७ : अधिवक्ता समीर पटवर्धन एवं अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने शासकीय अधिवक्ता की नियुक्ति के विषय में की गई अनियमितताआें को उजागर किया । शिवाजीराव राणे की नियुक्ति ही अवैध होने से दोषियोंपर कठोर कार्यवाही की जाए, यह मांग अधिवक्ता समीर पटवर्धन ने की ।
१४.१२.२०१६ को समीर गायकवाड के विरुद्ध पुलिस प्रशासन द्वारा प्रविष्ट किए गए आरोपपत्र में निहित तथाकथित आरोप !
(कहते हैं) क्षात्रधर्म साधना ग्रंथ में निहित लेखन को पढकर श्री. समीर गायकवाड प्रभावित हो गए ।
(कहते हैं) कॉ. पानसरे द्वारा सनातन के विरुद्ध दिए गए वक्तव्य, साथ ही कॉ. पानसरेपर प्रविष्ट किए गए विविध अभियोगों के कारण समीर द्वारा कॉ. पानसरे की हत्या का षडयंत्र रचा गया !
(कहते हैं) समीर गायकवाड द्वारा भ्रमणभाषपर किए गए ९ संभाषण संदेहजनक !
(कथित) आरोपपत्र की व्यापकता : ३९२ पृष्ठवाला और ७७ साक्षियों से युक्त आरोपपत्र !
आरोपपत्र में निहित धाराएं : ३०२, ३०७, १२० ब सहित ३४ और अन्य धाराएं
अभियोग चलाते समय जांच दलों द्वारा पिस्तौल के जांच में अक्षम्य बचपना !
१७ फरवरी २०१७ को डॉ. दाभोलकर, गोविंद पानसरे एवं डॉ. कलबुर्गी इन तीनों की हत्या हेतु एक ही पिस्तौल का उपयोग किए जाने का स्पष्ट हुआ है, ऐसा विशेष जांच दल ने बताया । इसका अर्थ यह है कि दाभोलकर की हत्या के पश्चात हत्यारे पुलिस द्वारा नियंत्रण में लिए गए पिस्तौल पुलिस के पास से लेकर जाते थे और उन्होंने उस पिस्तौल से और २ हत्याएं कर उन्होंने पुनः उस पिस्तौल को पुलिस प्रशासन के नियंत्रण में वापस दिया । जांच दल की ओर से इस प्रकार से बचकाना युक्तिवाद किया गया ।
केंद्रीय जांच दल (सीबीआई) ने प्रस्तुत पिस्तौल को जांच के लिए स्कॉटलैंड यार्ड में भी भेजने की बात की; किंतु कुछ दिन स्कॉटलैंड यार्ड ने इस पिस्तौल को अस्वीकार किया ।, ऐसा बताया गया ।
समीर गायकवाड का अधिवक्तापत्र लेने के लिए सिद्ध ३१ हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताआें की सत्यता का विजय !
सितंबर २०१६ में आधुनिकतावादी एवं हिन्दूद्वेषियों के दबाव में आकर कोल्हापुर के अधिवक्ता पुलिस प्रशासन के अन्याय से पीडित श्री. समीर गायकवाड का अधिवक्तापत्र लेने के लिए भी सिद्ध नहीं थे । कोल्हापुर बार एसोसिएशन द्वारा इस प्रकार का प्रस्ताव पारित किया गया था । (इस देश में कसाब का अधिवक्तापत्र लिया जाता है; किन्तु निर्दोष सनातन के साधकों का अभियोग चलाने के लिए अधिवक्ता आगे नहीं आते ! बंधक बनाया गया व्यक्ति दोषी है अथवा नहीं, इसपर कोई भी विचार न कर उसके न्यायालयीन अधिकार को नकारना तो मानवाधिकारों का हनन ही है ! – संपादक) यह ज्ञात होते ही हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने हिन्दुत्वनिष्ठों का आह्वान किया । तत्पश्चात महाराष्ट्र के कोने-कोने से ३१ धर्माभिमानी अधिवक्ता श्री. समीर गायकवाड का अधिवक्तापत्र लेने हेतु आगे आ गए ।
सनातन के लिए आध्यात्मिक स्तरपर कार्यरत संतों के प्रति कृतज्ञता !
पुणे के प.पू. श्रीकृष्ण कर्वेगुरुजी, योगविशेषज्ञ दादाजी वैशंपाायन, प.पू. पांडे महाराज एवं सनातन के अन्य हितचिंतक संत, साथ ही सनातन के संत आदि ने सनातन के साधकोंपर व्याप्त संकट दूर हो; इसके लिए प्रार्थनाएं कीं । उनकी प्रार्थनाआें के कारण ही सूक्ष्म से संपन्न अमूल्य कार्य के लिए सनातन संस्था उनके चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञ है ।
सत्य का अनुभव करानेवाला ईश्वरीय योगदान ! – प.पू. पांडे महाराज, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल
सनातन के साधक श्री. समीर गायकवाड को प्रतिभूति मिलने का समाचार सुनकर बहुत आनंद हुआ । ईश्वर की अर्थात परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी की कृपा से ही आज इस आनंद का अनुभव हो सका । ईश्वर ही घटनाआें को घटित करते हैं, परीक्षा लेते हैं तथा उससे बाहर भी निकालते हैं । सोने को तेज प्राप्त होने हेतु उसे जिस प्रकार से अग्नि में तपना पडता है, उस प्रकार श्री. समीर गायकवाड को २ वर्षों से भी लंबी अवधि में अनेक घटनाआें से तपकर बाहर निकलना पडा ।
हिन्दुत्वनिष्ठ, धर्माभिमानी, सांप्रदायिक, सनातन के हितचिंतक एवं हिन्दुत्वनिष्ठ दलों का आभार !
पुरोगामी एवं प्रसारमाध्यमों द्वारा सनातन संस्थापर आलोचनाआें की झडी लगाए जानेपर भी सदा की भांति अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, संस्थाएं, संप्रदाय एवं राजनीतिक दल इस बार भी समर्थरूप से सनातन के साथ रहे । उनके द्वारा पुरोगामियों के झूठे आक्रोश का मुंहतोड प्रत्युत्तर देकर सनातन के प्रति अपने विश्वास को समय-समयपर प्रकट किया । सनातन के साथ आंदोलन में सम्मिलित होना, निवेदन सौंपना, पुरोगामियों द्वारा दी गई चुनौतियों को प्रतिचुनौती देकर उसे सफल बनाना । कोल्हापुर के हिन्दुत्वनिष्ठों ने निरंतर इस प्रकार के कृत्य किए, तो पूरे देश के हिन्दुत्वनिष्ठों ने निरंतर सनातन के समर्थन में सर्वोपरि प्रयास किए । महाराणा प्रताप बटालियन, वारकरी संप्रदाय जैसी संस्थाआें ने स्वयंस्फूर्ति के साथ आंदोलन किए ।