नवरात्रि : महिषासुरमर्दिनी मां श्री दुर्गादेवी का उत्सव
नवरात्रि महिषासुरमर्दिनी मां श्री दुर्गादेवी का त्यौहार है । देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन अर्थात प्रतिपदा से नवमी तक युद्ध कर, नवमी की रात्रि को उसका वध किया । इसलिए उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है ।
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ।।
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नवरात्रि के संदर्भ में विशेष जानकारी
युगों-युगों से नवरात्रि का व्रत रखा जाता है । इसलिए इन ९ दिनों में देवी के ९ रूपों की पूजा की जाती है । इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !
श्री दुर्गासप्तशति स्तोत्र के अनुसार श्री दुर्गा देवी के तीन प्रमुख तीन रूप हैं ।
अ. महासरस्वती, जो ‘गति’ तत्त्व की प्रतीक है ।
आ. महालक्ष्मी, जो ‘दिक्’ अर्थात ‘दिशा’ तत्त्व की प्रतीक है ।
इ. महाकाली जो ‘काल’ तत्त्व का प्रतीक है ।
ऐसी जगत् का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्ति की उपासना हिन्दू धर्म में वर्ष में दो बार नवरात्रि के रूप में, विशेष रूप से की जाती है ।
देवी मां की उपासना कैसे करें ?
देवी मां के मंदिर
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है । इसलिए इस दौरान भारत के अलग-अलग कोनों में फैले हुए देवी मां के प्रसिद्ध मंदिरों का दर्शन अवश्य करें ।
इस नवरात्रि में देवी-तत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोली बनाएं !
मंगलवार एवं शुक्रवार के दिन देवीपूजन से पूर्व तथा नवरात्रि की कालावधि में घर अथवा देवालयों में देवी-तत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं । आगे श्री दुर्गा देवी-तत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली कुछ रंगोलियां दी हैं । सभी देवियां आदिशक्ति श्री दुर्गा देवी का रूप हैं । इसलिए विशिष्ट देवी की उपासना करते समय श्री दुर्गा देवी-तत्त्व से संबंधित रंगोलियां बना सकते हैं । ऐसी रंगोलियां बनाने से वहां का वातावरण देवी-तत्त्व से आवेशित होकर उसका लाभ हमें होता है । इन रंगोलियों में पीला, नीला, गुलाबी जैसे सात्त्विक रंग भरें ।