श्रवण भक्ति का आदर्श उदाहरण
‘श्रवणभक्ति’ कहते ही राजा परिक्षित का स्मरण होता है । राजा परीक्षित, अर्जुनपुत्र अभिमन्यु के पुत्र ! राजा परीक्षित धर्मात्मा और सत्यनिष्ठ थे ।
‘श्रवणभक्ति’ कहते ही राजा परिक्षित का स्मरण होता है । राजा परीक्षित, अर्जुनपुत्र अभिमन्यु के पुत्र ! राजा परीक्षित धर्मात्मा और सत्यनिष्ठ थे ।
नवविधा भक्ति का श्रवण, कीर्तन यह क्रम सृष्टिक्रम के अनुरूप है । मनुष्य जब जन्म लेता है, तब वह जो सीखना आरंभ करता है, वह श्रवण से सीखता है
श्राद्ध अथवा पितृपक्ष में समाज को इस विषय की शास्त्रीय जानकारी मिले और पितृदोष से रक्षा हो, इसलिए उत्तर भारत के विविध राज्यों में ‘ऑनलाइन’ प्रवचन का आयोजन किया ।
सनातन संस्था की ओर से पितृपक्ष के उपलक्ष्य में ९ वर्ष से १३ वर्ष की किशोर अवस्था के बच्चों के लिए पितृपक्ष से संबंधित धर्मशास्त्र पर आधारित ‘ऑनलाइन’ बालसत्संग का आयोजन किया गया ।
सनातन संस्था की ओर से शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में ‘वर्तमान आपातकाल – सुरक्षित तथा आनंदमय जीवन हेतु अध्यात्म’ विषय पर ‘विशेष ऑनलाइन शिक्षक प्रवचन’ आयोजित हुआ ।
‘हम कितना भी चिंतन करें, तब भी सद़्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी (सद़्गुरु बिंदाजी) के सूक्ष्म आध्यात्मिक कार्य की व्याप्ति नहीं निकाल पाएंगे ! उनका सूक्ष्म कार्य अपार है; क्योंकि वह मानव बुद्धि से परे है ।
सच्चे भक्तों के मन में ईश्वर के स्मरण के अतिरिक्त दूसरी कोई भी इच्छा नहीं होती । वे मोक्षप्राप्ति की इच्छा भी नहीं रखते । भक्तों के हृदय में भक्ति की ज्योत, गुरुकृपा से तथा साधकों के और संतों के सत्संग से सदैव प्रज्वलित रहती है । यही नवविधा भक्ति में पहली भक्ति है श्रवण भक्ति ।
‘फेसबुक’ द्वारा प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ तथा भाजपा विधायक टी. राजासिंह, जिनका फेसबुक पेज ही नहीं था, उसपर प्रतिबंध लगानेवाले फेसबुक ने सनातन संस्था के अधिकृत ५ ‘फेसबुक पेजेस’ (पृष्ठ) और २ ‘इंस्टाग्राम’ खातोंपर प्रतिबंध लगाया है ।
इसलिए यदि हम अपने आसपास सभी में गुण देखने की वृत्ति बढा लें, तो हमें ध्यान में आएगा कि भगवान में अनंत गुण हैं और उन्होंने अपने सभी गुण हमारे आसपास की ही सृष्टि में बिखेर दिए हैं ।
भाव जागृति में कर्तापन को त्याग कर, सब ईश्वर की इच्छा से ही हो रहा है, एसा भाव रखना चाहिए । जैसे मैंने कुछ अच्छा किया, तो यह बुद्धि तो ईश्वर ने ही दी है ।