ऑनलाइन सत्संग शृंखला के सभी सत्संग यू ट्यूब पर उपलब्ध ! अपने समय के अनुसार इन सत्संगों का अवश्य लाभ उठाएं !

‘समाज नामजप आदि साधना का महत्त्व समझे और इसके साथ ही राष्ट्र और धर्म कार्य का प्रसार हो’, इस दृष्टि से सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘ऑनलाइन सत्संग शृंखला’ प्रसारित की जा रही है ।

ग्रहण के विषय में फैलाई जानेवाली भ्रांतियां

ग्रहण के विषय में अनेक बातें सामाजिक प्रचारमाध्यमों में घूमती रहती हैं । उनमें – ‘ग्रहणकाल में हवा अशुद्ध होती है’, ‘ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए’ आदि बातें केवल गप हैं’, ऐसी आलोचना कुछ लोग करते हैं ।

क्या पितरों के छायाचित्र घर में लगाना चाहिए ?

मृत व्यक्ति के साथ घर के लोगों का लगाव अथवा प्रेम होता है । उन्हें लगता है कि उनके कारण वे अच्छी स्थिति में हैं ।

हिन्‍दू धर्म सभी को जोडता है, तो ‘रेलीजन’ एक-दूसरे से संबंध तोडता है !

भारत के ऋषि, चिंतक तथा तपस्‍वियों ने ऐसे शाश्‍वत सिद्धांत दिए, जिसमें उपर्युक्‍त चारों सत्ताओं में सामंजस्‍य बना रहता है । एक-दूसरे को सहयोग करते हुए समस्‍त विविधताओं की रक्षा करते हुए ये सत्ताएं पूर्ण विकास की दिशा में अग्रसर होती थीं ।

हिन्दू अपने घर में वास्तुशांति करते हैं, मुस्लिम तथा ईसाई अपने घरों में यह विधि नहीं करते । तो क्या उन्हें भी कष्ट होता है ?

सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि घर के सदस्य साधना करें । इसका कारण यह है कि वास्तु पर सबसे अधिक प्रभाव घर में रहनेवाले व्यक्तियों के स्वभाव अथवा आचरण का होता है । साधना से आपकी और वास्तु की भी सुरक्षा होगी ।

हनुमानजी को घर में नहीं, अपितु घर के बाहर रखना है, क्या यह सही है ?

हनुमानजी को घर में नहीं रखना, भगवान श्रीकृष्ण का महाभारत का चित्र घर में नहीं रखना, सुदर्शन चक्रवाला चित्र घर में नहीं रखना, यह सब अंधविश्वास की बातें हैं ।

शनि की साढेसाती दूर करने के लिए हनुमानकी पूजा कैसे करनी चाहिए ?

सूर्य तेज से संबंधित है, जबकि हनुमानजी वायुतत्त्व से संबंधित हैं । पृथ्वी, आप, तेज, वायु और आकाश, इन पंचतत्त्वों में तेजतत्त्व से वायुतत्त्व अधिक प्रभावी माना गया है । इस कारण शनि के साढेसाती का परिणाम हनुमानजी पर नहीं होेता ।

मडगाव विस्फोट प्रकरण में सनातन संस्था का निर्दोषत्व पुनः एक बार सिद्ध !

मा. मुंबई उच्च न्यायालय के गोवा खंडपीठ ने विशेष न्यायालय का निर्णय कायम रखते हुए सभी आरोपियों को निर्दोष मुक्त किया है ।

अधिक मास के उपलक्ष्य में अखंडित धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले सनातन आश्रमों में अन्नदान कर पुण्यसंग्रह के साथ आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त करें !

धर्मशास्‍त्र कहता है कि सद़्‍भावना पूर्वक ‘सत्‍पात्रे अन्‍नदान’ करने से अन्‍नदाता को उसका उचित फल मिलता है तथा सभी पापों से उसका उद्धार होकर वह ईश्‍वर के निकट पहुंचता है । अन्‍नदान करने से अन्‍नदाता को आध्‍यात्‍मिक स्‍तर पर भी लाभ होता है ।

समर्थ रामदास स्वामीजी द्वारा दासबोध में किया गया नवविधा भक्ति का वर्णन !

समर्थ जी ने साधना का मुख्य साधन श्रवण बताया है । अनेक विषयों का श्रवण करें, ऐसा उन्होंने बताया है कर्ममार्ग, ज्ञानमार्ग, सिद्धांतमार्ग, योगमार्ग, वैराग्यमार्ग, विविध व्रत, विविध तीर्थ, विविध दान, विविध महात्मा, योग, आसन, सृष्टीज्ञान, संगीत, चौदह विद्या, चौसंठ कला, यह सब श्रवण करने के लिए बताते हैं ।