अध्यात्म और विज्ञान में समानता कैसे रखें ?

‘विज्ञान केवल स्थूल पंचज्ञानेंद्रियों के संदर्भ में ही संशोधन करता है, किंतु अध्यात्म सूक्ष्मतर एवं सूक्ष्मतम का भी विचार करता है !’ विज्ञान तंत्रज्ञान के संदर्भ में जानकारी देता है एवं अध्यात्म आत्मज्ञान के संदर्भ में !

टिप्पणी : सभी हिंदू शाकाहारी होते हैं ।

हिन्दू धर्म की धार्मिक परंपराओं और हिन्दुओं के धर्माचरण के पीछे अध्यात्मशास्त्रीय आधार होता है । यह शास्त्र यदि हम समझ लें, तो हिन्दू धर्म की अद्वितीयता हमारे ध्यान में आएगी ।

विदेशियों को संस्कृत भाषा का महत्त्व समझ में आता है, किंतु भारतीयों द्वारा इस भाषा की उपेक्षा !

भारतवासियों पर अंग्रेजी भाषा का बढता प्रभाव और उसका परिणाम चिंता का विषय है । प्रस्तुत लेख से यह ध्यान में आता है कि विदेशी नागरिकों को संस्कृत भाषा का महत्त्व समझ में आया; किंतु स्वभाषा के अमूल्य एवं अलौकिक ज्ञान से भारतीय कितने अनभिज्ञ हैं ।

दान और अर्पण का महत्त्व एवं उसमें भेद

‘पात्रे दानम् ।’ यह सुभाषित सर्वविदित है । दान का अर्थ है ‘किसी की आय और उसमें से होनेवाला व्यय घटाकर, शेष धनराशि से सामाजिक अथवा धार्मिक कार्य में योगदान ।’

मानव-निर्मित कीटनाशक मानव का मित्र अथवा शत्रु ?

‘विषैले रासायनिक कीटनाशकों ने कृषि को नष्ट करनेवाले कीटों के साथ-साथ मच्छरों की संख्या कम करने में सहायता की, परंतु इन विषैले रसायनों के कारण अनेक उपयुक्त और हानिरहित प्राणियों और कीटों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है ।

पत्ते तोडे जाने पर वृक्ष वेदना में जोर से चिल्लाते हैं ! – शोधकर्ताओं के निष्कर्ष

शोध से पता चला है कि जब पेड-पौधों से पत्तियां तोडी जाती हैं, तो उन्हें वेदना होती है और वे चिल्लाते हैं । तेल अवीव विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह शोध किया है ।

यदि आप एन्‍टीबायोटिक औषध ले रहे हैं, तो एक बार विचार अवश्‍य करें !

एंटीबायोटिक अथवा प्रतिजैविक का अर्थ है, बैक्‍टीरिया (जीवाणु) मारनेवाली अथवा उसे कमजोर करनेवाली औषध ।

वर्ष २०२१ में भी कोरोना रहेगा ! – मनोवैज्ञानिक, निकोलस ओजुला, की भविष्यवाणी

२०१८ में कोरोना की भविष्यवाणी करने वाले ३५ वर्षीय मनोवैज्ञानिक, निकोलस ओजुला, ने भविष्यवाणी की है कि कोरोना का प्रभाव २०२१ में जारी रहेगा ।