हेल्पलाइन क्रमांक (नंबर) : आपातकाल में निकटतम और सुरक्षित मित्र !

आपातकाल में कठिन परिस्थिति कब उत्पन्न हो जाए, यह कोई नहीं कह सकता । ऐसी परिस्थिति में सहायता के लिए सभी उपलब्ध मार्गों का उपयोग करना चाहिए । इसके साथ ही हेल्पलाइन क्रमांक का भी अवश्य उपयोग करें । भले ही हेल्पलाइन क्रमांक एक स्थायी विकल्प नहीं; परंतु आवश्यकता पडने पर इसका उपयोग कर सकते हैं ।

‘सनातन पंचांग’ ऍप, यह अति उत्तम ऍप है ! – कन्नड अभिनेता जग्गेश

‘सनातन पंचांग’ ऍप अति उत्तम ऍप है, ऐसा अभिप्राय कर्नाटक के प्रसिद्ध अभिनेता जग्गेश ने व्यक्त किया है । धर्मप्रेमियों ने ‘सनातन पंचांग २०२१’ ऍप का ट्विटर के माध्यम से प्रसार किया था । उसपर उन्होंने यह ट्वीट किया ।

पू. विनयानंदस्वामी की रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में सदिच्छा भेट

पू. विनयानंदस्वामी ने यहां के सनातन आश्रम में सदिच्छा भेट दी और आश्रम में चल रहे राष्ट्र, धर्म और आध्यात्मिक शोधकार्य के विषय में जानकर लिया ।

गौरीगद्दे (कर्नाटक) के अवधूत विनयगुरुजी की रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन आश्रम को सदिच्छा भेंट !

गौरीगद्दे (शृंगेरी, कर्नाटक) के अवधूत विनयगुरुजी ने हाल ही में यहां के सनातन आश्रम को सदिच्छा भेंट दी ।

मनुष्य जीवन पर ग्रहदोषों के प्रभाव को सहनीय बनाने के लिए ‘साधना करना’ ही सर्वाेत्तम उपाय

ग्रहदोष का अर्थ कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति ! कुंडली में कोई ग्रह दूषित हो, तो उस व्यक्ति को उस ग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं,

प्राचीन भारतीय नौकाशास्त्र में मत्स्ययंत्र के अलौकिक तंत्र

वेद से लेकर अनेक भारतीय पौराणिक ग्रंथों में महासागर, समुद्र और नदियों से जुडी ऐसी अनेकानेक घटनाओं का उल्लेख है, जिससे यह पता चलता है कि भारतीयों को नौकायान का ज्ञान आदिकाल से ही रहा है । भारतीय साहित्यकला, मूर्तिकला, चित्रकला और पुरातत्व-विज्ञान से प्राप्त अनेक साक्ष्यों से भारत की समुद्री परंपराओं का अस्तित्व प्रमाणित … Read more

माता अमृतानंदमयी के चेन्नई स्थित आश्रम के स्वामी विनयांमृत चैतन्य ने दिया सनातन संस्था के कार्य को आशीर्वाद !

सनातन संस्था के साधक श्री. जयकुमार एवं श्रीमती सुगंधी जयकुमार ने यहां माता अमृतानंदमयी आश्रम में स्वामी विनयामृत चैतन्य की १ दिसंबर २०२० की साधकों ने भेट ली ।

कलियुग के लिए नामजप सर्वोत्तम साधना क्यों है ?

कलियुग में साधारण व्यक्ति की सात्त्विकता निम्न स्तर पर आ गई है । ऐसे में वेद एवं उपनिषद के गूढ भावार्थ को समझना क्लिष्ट हो गया है ।