ब्रेन सर्जरी के समय महिला मरीज द्वारा श्रीमद्भगवत्गीता के श्लोक का पठन !

सूरत की ३६ वर्षीय महिला दयाबेन भरतभाई बुधेलिया की ब्रेन में गांठ होने के कारण उसे निकालने के लिए सफलता से ‘ओपन सर्जरी’ की गई । उन्हें ‘अवेक एनेस्थेसिया’ दिया गया था । इस कारण वे सर्जरी के समय जागी थी । सवा घंटे की सर्जरी में वे सतत श्रीमद्भगवत्गीता के श्लोक का पठन कर रहीं थीं ।

सत्‍संग ९ : स्‍वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया का महत्त्व

अष्‍टांग साधना में स्‍वभावदोष निर्मूलन करने का अनन्‍य साधारण महत्त्व है । इस प्रक्रिया का महत्त्व विस्‍तार से देखेंगे । धर्मशास्‍त्र में भी कहा है कि मनुष्‍य को षड्रिपुओं का त्‍याग करना चाहिए । संतों ने भी कहा है कि षड्रिपु मनुष्‍य के शत्रु हैं ।

सत्संग ८ : साधना के अंग

साधना करते समय गुरुकृपा अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है । शिष्य की वास्तविक आध्यात्मिक प्रगति गुरुकृपा से ही होती है । गुरु अपने शिष्य को अलग-अलग माध्यम से सीखाते रहते हैं । गुरुकृपा के माध्यम से व्यक्ति का ईश्वरप्राप्ति की ओर अग्रसर होने को ही गुरुकृपायोग कहा जाता है । गुरुकृपायोग के अनुसार साधना के २ अंग हैं – एक है व्यष्टि साधना और दूसरी है समष्टि साधना !

भगवान कार्तिकेय के स्वरूपवाला तेजस्वी नक्षत्र : कृत्तिका !

भारतीय कालगणना में चैत्रादी मास के नाम खगोल शास्त्र पर आधारित है । कार्तिक मास में सूर्यास्त होने पर कृत्तिका नक्षत्र पूर्वक्षितिज पर उदय होता है; साथ ही कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि के समय चंद्र कृत्तिका नक्षत्र में होता है ।

सत्संग ७ : सत्संग का महत्व

सत्संग क्या होता है ?, सत् का संग होता है । सत् का अर्थ ईश्वर अथवा ब्रह्मतत्त्व और संग का अर्थ है सान्निध्य ! हमें प्रत्यक्षरूप से ईश्वर का सान्निध्य मिलना असंभव है; इसलिए संत, जिन्हें ईश्वर का सगुण रूप कहा जाता है; उनका सान्निध्य सर्वश्रेष्ठ सत्संग होता है ।

वर्ष २०२१ में आनेवाले गुरुपुष्यामृत योग की विशेषताएं !

गुरुवार को पुष्य नक्षत्र आने से ‘गुरुपुष्यामृत योग’ होता है । इस दिन ‘सुवर्ण खरीदना और शुभकार्य करना’, ऐसा करने की प्रथा है । सर्व लौकिक अथवा व्यवहारिक कार्य के लिए यह योग शुभ माना जाता है । यह योग एक वर्ष में लगभग ३ अथवा ४ बार आता है ।

सत्संग ६ : नामजप में संख्यात्मक एवं गुणात्मक वृद्धि करने हेतु आवश्यक प्रयास

नामजप अथवा कोई भी सत्कर्म करते समय, महत्त्वपूर्ण पहलू है ईश्वर से प्रार्थना करना ! प्रार्थना करने के कारण हममें याचकवृत्ति उत्पन्न होकर हमारा अहंकार अल्प होने में सहायता मिलती है ।

सत्संग ५ : नामजप करने की पद्धतियां

कलियुग में नामस्मरण ही सर्वश्रेष्ठ साधना मानी गई है । नामजप करने की विविध पद्धतियां होती हैं जैसे लिखित नामजप, वैखरी नामजप । नामजप की वैखरी वाणी के साथ मध्यमा, पश्यंती और परा ये वाणियां भी हैं ।

सनातन संस्‍था और हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे को ‘सनातन पंचांग २०२१’ भेंट

राज्य के नगरविकास मंत्री और ठाणे जिले के पालक मंत्री, साथ ही शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘सनातन पंचांग २०२१’ भेंटस्वरूप दिए गए ।

सत्संग ४ : नामजप से मिलनेवाले लाभ 

कलियुग में नामस्मरण ही सर्वश्रेष्ठ साधना मानी गई है । हममें से अनेक जिज्ञासुओं ने नामजप करना आरंभ किया होगा अथवा कुछ लोग पहले से नामजप करते होंगे । हममें से कुछ लोगों को नामजप करने से कोई अनुभव भी हुआ होगा । नामजप साधना का एक महत्त्वपूर्ण चरण है ।