तौक्ते के पीछे पीछे अब ‘यास’ नामक चक्रवात टकराएगा !

तौक्ते के पीछे पीछे अब ‘यास’ नामक चक्रवात पूर्वी बंगाल एवं ओडिशा के तटों से टकराने की चेतावनी भारतीय मौसम विभाग ने दी है । यह चक्रवात २५ मई को बंगाल तथा २६ मई को ओडिशा से टकराने की आशंका है । बंगाल की खाडी में एक न्यून दबाव का क्षेत्र बन गया है एवं समुद्र के पानी का तापमान बढ गया है ।

‘निर्विचार’ अथवा ‘श्री निर्विचाराय नमः’ नामजप द्वारा निर्गुण स्‍थिति प्राप्‍त करने में सहायता होना

‘मन जब तक कार्यरत है तब तक मनोलय नहीं होता । मन निर्विचार करने हेतु स्‍वभावदोष-निर्मूलन, अहं-निर्मूलन, भावजागृति इत्‍यादि कितने भी प्रयास किए, तो भी मन कार्यरत रहता है । उसी प्रकार किसी देवता का नामजप अखंड किया, तो भी मन कार्यरत रहता है और मन में देवता की स्‍मृति, भाव इत्‍यादि आते हैं ।

सनातन आश्रम रामनाथी (गोवा) और देवद (पनवेल) में ‘ऑक्‍सीजन कॉन्‍सेन्‍ट्रेटर’ की त्‍वरित आवश्‍यकता !

सनातन के रामनाथी और देवद आश्रम में राष्‍ट्र और धर्म का कार्य नि:स्‍वार्थता से करनेवाले अनेक साधक निवास करते है । इनमें से कुछ रोगी साधकों के लिए समय-समय पर ऑक्‍सीजन की आवश्‍यकता होती है । वर्तमान में बाहर सर्वत्र ऑक्‍सीजन का अभाव है ।

उत्तर भारत में श्रीरामनवमी एवं श्री हनुमान जयंती निमित्त विविध ऑनलाइन उपक्रम !

फरिदाबाद श्रीरामनवमी के अवसर पर फरीदाबाद में ऑनलाइन प्रवचन व श्रीरामजी के नामजप का आयोजन किया था । सनातन की साधिका श्रीमती संदीप मुंजाल ने श्रीराम नवमी का महत्‍व प्रवचन में उपस्‍थित जिज्ञासूओं को बताया ।

भारत ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र’ घोषित होना चाहिए ! – महामंडलेश्‍वर स्‍वामी रामगिरिजी महाराज, पंचदशनाम आवाहन अखाडा, ब्‍यावरा, मध्‍य प्रदेश

हरिद्वार ‘हिन्‍दू धर्म के लिए ‘सनातन धर्मशिक्षा एवं हिन्‍दू राष्‍ट्र जागृति केंद्र’ आवश्‍यक व प्रशंसनीय है । केंद्र के प्रबोधनपरक फलकों पर जो लेखन है, वह अटल सत्‍य है । यहां बताई जा रही जानकारी बहुत अच्‍छी है ।

सनातन संस्‍था एवं हिन्‍दू जनजागृति समिति का कार्य देखकर मुझे बहुत अच्‍छा लगा ! – श्री विभूषित श्रीमद़् परमहमसा अंतरराष्‍ट्रीय बाल संत श्री श्री १००८ महामंडलेश्‍वर स्‍वामी रामेश्‍वरानंद सरस्‍वती महाराज

हरिद्वार ‘‘पंजाब, जम्‍मू और हरिद्वार में हमारा हिन्‍दू धर्म का कार्य चल रहा है । सनातन संस्‍था और हिन्‍दू जनजागृति समिति का कार्य मुझे अत्‍यंत अच्‍छा लगा ।

सनातन संस्‍था और हिन्‍दू जनजागृति समिति हिन्‍दू संस्‍कृति तथा धर्माचरण की आवश्‍यकता समाज को समझा रही है – देवी श्री विद्यानंद सरस्‍वतीजी

हरिद्वार ‘‘राष्‍ट्र और धर्म से संबंधित प्रदर्शनी के माध्‍यम से जैसे धर्माचरण का महत्त्व विशद किया गया है, वैसे हम भी वैदिक धर्म, यज्ञ और गायत्री मंत्र का प्रसार करते हैं । हिन्‍दू संस्‍कृति और धर्माचरण की आवश्‍यकता आपने प्रदर्शनी के माध्‍यम से बहुत अच्‍छे से समझाई है । वर्तमान में समाज में धर्मप्रसार की बहुत आवश्‍यकता है ।’’

अखिल मानवजाति पर निरपेक्ष प्रेम (प्रीति) करनेवाले परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘एसएसआरएफ’ के जालस्‍थल पर मृत व्‍यक्‍ति का अंतिमसंस्‍कार करने के संदर्भ में उस पर अग्‍निसंस्‍कार करने के लाभ और दफन करने से होनेवाली हानि के संबंध में जानकारी देनेवाला लेख प्रकाशित किया गया है ।

‘यज्ञसंस्‍कृति’ को पुनर्जीवित करनेवाले मोक्षगुरु परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

गुरुदेवजी साधकों को सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों अंगों की शिक्षा देकर इस कलियुग में भी साधकों से चार युगों की साधना करवाकर उन्हें पूर्णत्व तक पहुंचा रहे हैं । उसके लिए सनातन धर्म के महत्त्वपूर्ण और अभिन्न अंग ‘यज्ञसंस्कृति’ को आप पुनर्जीवित कर रहे हैं ।

श्री विद्याचौडेश्‍वरी देवी द्वारा परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के सहस्रार पर लगाई गई विभूति में बहुत चैतन्‍य होना

‘२६.२.२०२० को गोवा के रामनाथी आश्रम में श्री विद्याचौडेश्‍वरी देवी का शुभागमन हुआ । उस समय प.पू. श्री श्री श्री बालमंजूनाथ महास्‍वामीजी और उनके भक्‍तों ने श्री विद्याचौडेश्‍वरी देवी की मूर्ति के प्रभामंडल से परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के सहस्रार पर (तालू के भाग पर) स्‍पर्श कराया ।