शरीर में गर्मी बढने पर उसके लिए शारीरिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर करने योग्य विविध उपचार !

तुलसी के पत्ते गरम व बीज ठंडा होता है । गर्मी न्यून करने हेतु १ चम्मच तुलसी के बीज आधा कटोरा पानी में भिगोएं और सवेरे उसमें १ कटोरा गुनगुना दूध मिलाकर खाली पेट सेवन करें । ऐसा ७ दिन करें ।

आपातकाल और सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के विषय में विविध संतों और भविष्यवक्ताओं द्वारा की गई भविष्यवाणी

अब कलियुगांतर्गत कलियुग समाप्त होने जा रहा है और सत्ययुग आनेवाला है । अधर्म की परिसीमा लांघनेवाले मनुष्य ने स्वयं ही स्वयं के विनाश का मार्ग रेखांकित कर रखा है । अधर्म का नाश होने हेतु कोई न कोई महाभारत घटित होता ही है ।

सनातन संस्था द्वारा महिला दिन निमित्त व्याख्यान – ‘जागर स्त्रीशक्ति का !’

भारत को वीर, लडाकू क्रांतिकारी महिलाओं की बडी धरोहर मिली है । हमारी माता-भगिनियों का शौर्य जागृत होने के उपरांत ही वास्तविक रूप से महिला सबलीकरण हो सकता है । शौर्यजागरण के लिए और महिलाओं पर होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए अब महिलाओं को स्वयं प्रशिक्षण लेकर स्वरक्षा के लिए सक्षम बनना चाहिए

रशिया-युक्रेन युद्ध और तिरंगे का मूल्य !

भारतीय संस्कृति ‘अर्थ’ इस कल्पना की अपेक्षा ‘जीवन’ इस संकल्पना को अधिक महत्त्व देती है । इसलिए भारत द्वारा दिखाई गई व्यावहारिकता संसार के सामने नया उदाहरण प्रस्तुत कर रही है । संपूर्ण संसार में भारतीय तिरंगे का बढा हुआ मूल्य अनुभव किया जा रहा है । भारतीय तिरंगा लगे हुए वाहन सुरक्षित युक्रेन से बाहर निकल रहे हैं ।

महिलाओं के लिए मां दुर्गा अथवा झांसी की रानी का रूप धारण करना आवश्यक !

‘कैरियर’ करने की अपेक्षा महिलाओं को अपने परिवार के भले के लिए त्याग करना चाहिए । आज संस्कार एवं संस्कृति मृतप्राय: हो गई है । घर में सभी सुविधाएं होते हुए भी वहां संतुष्टि नहीं है ।

वाराणसी सेवाकेंद्र के प्रांगण में उगा हुआ विशेषतापूर्ण अमरूद का पेड !

वाराणसी सेवाकेंद्र के प्रांगण में अमरूद का एक पेड है । इस अमरूद के पेड की विशेषता यह है कि उसके कई स्थानों में एक ही स्थान पर ४ से ५ अमरूद आते हैं और एक ही शाखा की एक ही पंक्ति में कई अमरूद आते हैं । इस पेड का तना मध्यम आकार का है । इस पेड की ओर देखने पर आनंद और उत्साह प्रतीत होता है ।

ग्वालियर में सनातन संस्था द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर प्रवचन संपन्न

प्रवचन के आरंभ में संस्था के कार्य और संस्थापक के विषय में जानकारी दी गई । बसंत पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाने का महत्त्व व उनकी उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी कथा सुनाई गई ।

सनातन के आश्रम में वेद, पुराण एवं उपनिषद के अनुसार किया जानेवाला आचरण अनुकरणीय ! – प्रा. डॉ. रमाकांत शर्मा

प्रा. डॉ. रमाकांत शर्माजी, आयुर्वेद में एम.डी., पीएच.डी. होने के साथ-साथ एम.ए., एम.बी.ए. भी हैं । वे जयपुर के ‘नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद’ के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हैं । उनकी आयुर्वेदीय औषधियों का उत्पादन करनेवाली ‘गौरव मैन्युफैक्चरिंग फार्मसी’ है । वे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के भी सदस्य हैं ।

मानवजाती के लिए मार्गदर्शक एवं अध्यात्म के जिज्ञासुओं में लोकप्रिय होता सनातन संस्था का ‘Sanatan.org’ यह जालस्थल !

१.३.२०२२ को महाशिवरात्रि के दिन सनातन संस्था के जालस्थल की १०वीं वर्षगांठ है । इस अवसर पर जालस्थल के माध्यम से किए गए कार्यों की समीक्षा नीचे दी गई है ।

सनातन के ज्ञानप्राप्तकर्ता साधकों को होनेवाले विविध प्रकार के कष्ट एवं उन्हें मिलनेवाले ज्ञान की विशेषताएं !

विष्णुस्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के धर्मसंस्थापना के कार्य को ज्ञानशक्ति का समर्थन मिलने के लिए ईश्वर सनातन संस्था की ओर ज्ञानशक्ति प्रवाहित कर रहा है । इस प्रवाह में ज्ञानशक्ति से ओतप्रोत चैतन्यदायी सूक्ष्म विचार ब्रह्मांड की रिक्ती से पृथ्वी की दिशा में प्रक्षेपित हो रहे हैं ।