श्रीलंका पर छाया अन्नसंकट एवं भारत !
श्रीलंका ने भारत से अन्न आयात करने के लिए कर्ज की मांग की है । वह जैविक खेती के विषय में मार्गदर्शन भी मांगे, तो इसमें भारतीय किसान बंधु भी आनंद से सहभागी होंगे ।
श्रीलंका ने भारत से अन्न आयात करने के लिए कर्ज की मांग की है । वह जैविक खेती के विषय में मार्गदर्शन भी मांगे, तो इसमें भारतीय किसान बंधु भी आनंद से सहभागी होंगे ।
हिजाब बंदी के संदर्भ में न्यायालय का निर्णय आने के उपरांत सीधे परीक्षाओं का बहिष्कार करने का हिजाबी छात्राओं का उदाहरण ताजा है । इसलिए समान नागरिकता कानून लागू हुआ, तब भी सचमुच उसका पालन होगा अथवा नहीं, यह तो एक प्रश्न ही है !
रासायनिक कृषि स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है, यह इस लेख से समझ में आता है । मंडी में बिकनेवाली सब्जियों पर विषैले रसायनों की फुहार किए जाने से अब प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए आवश्यक सब्जियों की स्वयं ही उपज करना आवश्यक बन गया है ।
शृंगार, नारी का प्राकृतिक कर्म है । वास्तव में, उसे नकार कर काले स्कार्फ में नारी को लपेटनेवालों की प्रवृत्ति के विरोध में नारीस्वतंत्रता अभियान होना चाहिए; परंतु यह आधुनिक नारीस्वतंत्रतावालों को कौन बताएगा ?
रसोई के लिए जो सब्जियां, अनाज, दालें, तेल, नमक इत्यादि का उपयोग किया जाता है, उनमें भी मानवीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक घटक हो सकते हैं, यहांतक विष के अंश भी हो सकते हैं; परंतु उस विषय में कोई बोलता दिखाई नहीं देता ।
आच्छादन, वाफसा, जीवामृत एवं बीजामृत, ये ‘सुभाष पाळेकर प्राकृतिक कृषि तंत्र’ के मूल तत्त्व हैं । इस लेख में ‘आच्छादन का अर्थ क्या है ?’, इसके साथ ही उसका महत्त्व एवं लाभ समझ लेंगे ।
‘भूमि में मिट्टी के २ कणों के मध्य की रिक्ति में पानी का अस्तित्व न होकर ५० प्रतिशत भाप और ५० प्रतिशत हवा का मिश्रण होना ‘वाफसा’ है ।
इस लेख में सुनामी की जानकारी दी गई है । सुनामी क्या है ? सुनामी आने से पूर्व की जानेवाली तैयारी, सुनामी आने के संकेत, प्रत्यक्ष सुनामी के समय किन बातों पर ध्यान दें और सुनामी समाप्त होने के पश्चात क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी दी गई है ।
तुलसी के पत्ते गरम व बीज ठंडा होता है । गर्मी न्यून करने हेतु १ चम्मच तुलसी के बीज आधा कटोरा पानी में भिगोएं और सवेरे उसमें १ कटोरा गुनगुना दूध मिलाकर खाली पेट सेवन करें । ऐसा ७ दिन करें ।
अब कलियुगांतर्गत कलियुग समाप्त होने जा रहा है और सत्ययुग आनेवाला है । अधर्म की परिसीमा लांघनेवाले मनुष्य ने स्वयं ही स्वयं के विनाश का मार्ग रेखांकित कर रखा है । अधर्म का नाश होने हेतु कोई न कोई महाभारत घटित होता ही है ।