परात्पर गुरु डॉ. आठवलजी ने वादनकला के माध्यम से ईश्वरप्राप्ति की एक अमूल्य संधि दी है !

स्थूल रूप से भारतीय वाद्यों की अपेक्षा पश्चिमी वाद्य अधिक प्रगतिशील प्रतीत होते हैं किंतु सूक्ष्म रूप से देखने पर उसका परिणाम अच्छा नहीं होता । एक कार्यक्रम में इसका प्रयोग किया गया था ।

विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि आपदाओं का प्रत्यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ९)

अबतक हमने इस लेखमाला में विविध आपदा एवं उनसे बचाव करने से संबंधित सूत्र देखे । इस लेख में इन सभी आपदाओं के संदर्भ में कुछ सामायिक सूचना हैं । उन्‍हें ध्‍यान में रखकर आपदा से पूर्व कुछ तैयारियां करना संभव होगा ।

रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग ३)

भूमि में फॉस्फरस, यशद (जिंक), पोटैश, तांबे समान अनेक खनिज घटक होते हैं; परंतु ये घटक स्वयं ही वनस्पति को अन्न के रूप में उपलब्ध नहीं होते । केंचुए, इसके साथ ही भूमि के सूक्ष्म जीवाणु उन घटकों से अन्न निर्माण करते हैं और वनस्पतियों की जडों को देते हैं ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए उत्तर भारत में धर्मप्रेमियों ने की सामूहिक प्रार्थना !

श्रीराम नवमी के पावन पर्व पर परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मथुरा के राधानगर के राधेश्वर महादेव मंदिर में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रार्थना की गई । इस अवसर पर मंदिर के प्रमुख श्री. महेश पांडे उपस्थित थे ।

पंजाब एवं दिल्ली में श्रीराम नाम का संकीर्तन अभियान

दिल्ली के सरिता विहार में सनातन संस्था द्वारा श्रीमती प्रोमिला अगरवाल के निवास स्थान पर रामनाम संकीर्तन हुआ । इसका लाभ अनेक भक्तों ने लिया । यहां के मंदाकिनी इनक्लेव में श्रीराम नाम संकीर्तन हुआ । साधना सत्संग के जिज्ञासु श्रीमती रीतिका मित्तल को नामजप से विशेष अनुभव हुआ ।

सनातन के प्रथम अंग्रेजी ‘ई-बुक’ का वाराणसी में लोकार्पण !

चैत्र नवरात्रि के पवित्र पर्वकाल में वाराणसी के ‘अखिल भारतीय धर्मसंघ शिक्षा मंडल’ के महामंत्री श्री. जगजीतन पांडे के शुभहस्तों से ‘इम्पॉर्टन्स ऑफ पर्सनैलिटी डिफेक्ट रिमूवल एंड इन्कलकेटिंग वर्च्यूज्’ इस सनातन के अंग्रेजी भाषा के ‘ई-बुक’ का लोकार्पण किया गया ।

रसोईघर कैसा हो ?

अन्न खुला न रखें, अन्न को ढककर रखें । स्थूलरूप से अन्न की रक्षा हेतु, अन्न में कोई जीव-जंतु न जाए आदि कारणों से हम उसे ढककर रखते हैं । स्थूल के साथ सूक्ष्मरूप से भी अन्न की रक्षा हो, इसके लिए उ से ढकना आवश्यक है ।

कुछ देवियोंकी उपासनाकी विशेषताएं

आठ गुप्ततर योगिनी मुख्य देवताके नियंत्रणमें विश्वका संचलन, वस्तुओंका उत्सर्जन, परिणाम इत्यादि कार्य करते हैं । ‘संधिपूजा’ नामक एक विशेष पूजा अष्टमी एवं नवमी तिथियोंके संधिकालमें करते हैं ।

श्री सरस्वतीदेवी

अनुक्रमणिका१. अर्थ, कुछ अन्य नाम एवं रूपअ. अर्थआ. कुछ अन्य नामइ. तारक एवं मारक रूप :२. निर्मिति व निवासअ. निर्मितिआ. निवासइ.  सरस्वतीलोक की विशेषताएं३. श्री सरस्वतीदेवी के कोप से कष्ट एवं नरकप्राप्ति होनाअ. श्री सरस्वतीदेवी की अवहेलना करनेवालों को एवं दुष्कृत्य करनेवालों को विद्या एवं कला प्राप्त न होना, आत्मज्ञान न होना तथा नरकप्राप्ति होनाआ. … Read more