शेषनाग की फुफकार से निर्माण हुए ‘मणिकर्ण तप्तकुंड’ (जिला कुल्लु) के दर्शन !
गरम पानी युक्त मणिकर्ण कुंड एवं वहां की शिव मूर्ति
गरम पानी युक्त मणिकर्ण कुंड एवं वहां की शिव मूर्ति
लेखिका सिल्विया ब्राउन ने १२ वर्ष पूर्व वर्ष २००८ में एक पुस्तक ‘एन्ड ऑफ डेज् : प्रीडिक्शन एंड प्रोफेसीज अबाउट दि एन्ड ऑफ द वर्ल्ड’ लिखी थी, जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘वर्ष २०२० में पूरे विश्व में न्यूमोनिया समान रोग का संसर्ग फैल सकता है ।
आपको प्राकृतिक खेती का प्रकल्प देखकर आश्चर्य होगा कि ‘यह ऐसे कैसे हो सकता है ?’, ऐसा प्रश्न आपके मन में आ सकता है । (इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए ही) हम इन प्रकल्पों में विविध शास्त्रज्ञों को, इसके साथ ही असंख्य किसानों को जोडा है । शास्त्रज्ञों द्वारा किए गए शोध के शोधनिबंध तैयार हैं ।
शहर के शहर भस्म हो जाते हैं । उसके कारण उद्ध्वस्त शहर, मार्ग, पुल आदि तथा नष्ट हुई संस्थाओं को खडा करने में बहुत समय लग जाता है । जिससे वहां के विकास की बहुत हानि होती है ।
रोपण कैसे करें, यह समझने के लिए यूट्यूब पर वीडियो पाठकों की सुविधा के लिए यहां दे रहे हैं । इस वीडियो में कुछ भाग उपरोक्त लेख में दी हुई जानकारी से भिन्न हो सकता है ।
बैंगन के एक पौधे के लिए १५ से २० लीटर क्षमता का गमला पर्याप्त होता है । गमले की गहराई एक से सवा फुट होना आवश्यक है ।
‘धनिया भले ही बीजों से होता है, तब भी इन बीजों को हमें किसी रोपवाटिका से खरीद कर लाने की आवश्यकता नहीं होती । अपनी रसोई में ही ये बीज होते हैं । धनिया बोने की विविध पद्धतियां हैं ।
भारत में केवल हिमाचलप्रदेश एवं कश्मीर, इन दो राज्यों में ही होनेवाला सेब, यह फल आज सर्व राज्यों में बारहों महीने उपलब्ध है । उसका वृक्ष कैसा होता है ? उसके पत्ते कैसे दिखाई देते हैं ? उसका बौर कैसा होता है ?
अदरक, यह उच्च प्रति की औषधीय गुणधर्म युक्त कंदवर्गीय फसल है । इसके नियमित सेवन से कई रोग दूर रहते हैं ।
मंदिर स्वच्छता के आयोजन हेतु स्थानिक धर्मप्रेमी श्रीमती आशा सोलंकी जी तथा मंदिर के पुरोहित जी ने विशेष सहायता की। समाज सहायता से और निस्वार्थ भाव से किए मंदिर स्वच्छता अभियान की अनेकों ने सराहना की। कडी धूप होते हुए भी महिलाओं का उत्साहपूर्ण सहभाग रहा।