आयुर्वेद के अनुसार महामारी के कारण एवं उपाययोजना !

महामारी अर्थात अनेक लोगों को तथा जनसमुदाय को मरणोन्मुख करने हेतु गंभीर स्वरूप धारण किया हुआ रोग अथवा व्याधि । गावों में, जिलों में, राज्यों में, देश अथवा भूखंड में रहनेवाले सभी लोगों को ऐसी व्याधियों का सामना करना पडता है । किसी भी बीमारी अथवा व्याधि के कारणों का विभाजन सामान्य तथा असामान्य, इन दो वर्गाें में किया जाता है ।

वास्तुशास्त्र (भवननिर्माणशास्त्र)

विदेशी वास्तुशास्त्र में भवन के केवल टिकाऊपन पर बल दिया गया है; परंतु भारतीय वास्तुशास्त्र में टिकाऊपन के साथ-साथ उसमें रहनेवाले व्यक्ति, उसकी सोच और देवता के प्रति श्रद्धा का भी विचार किया गया है ।

भवन जिस विचार अथवा भाव से बनाया जाता है, उसमें वैसी विचार-तरंगें उत्पन्न होती हैं !

धनी लोगों को अपने धन का बहुत गर्व होता है । वे धन के बल पर ऊंचे-ऊंचे भवन बनवाते हैं । ये भवन देखनेयोग्य होते हैं । परंतु, वहां से जानेवाले कुछ लोगों को यह भवन अद्भुत लगता है, तो कुछ को इससे इर्ष्या होती है ।

उदयकाल के संदर्भ में पालन करने योग्य आचार

उदयकालीन सूर्य की किरणों का स्पर्श क्यों न होने दें ?, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के संधिकाल में साधना करने का महत्त्व
सनातन निर्मित ग्रंथ : आदर्श दिनचर्या एवं अध्यात्मशास्त्र

भगवान को नैवेद्य दिखाने का आधारभूत शास्त्र

नैवेद्य दिखाते समय सात्त्विक अन्न का नैवेद्य भावपूर्ण प्रार्थना करके भगवान को अर्पण करने पर उस नैवेद्य के पदार्थ की सात्त्विकता के कारण भगवान से प्रक्षेपित होनेवाली चैतन्य-लहरें नैवेद्य की ओर आकृष्ट होती हैं । इससे नैवेद्य के लिए अन्न बनाते समय उसमें देशी घी के समान सात्त्विक पदार्थाें का उपयोग किया जाता है ।

दिल्ली के न्यू कोंडली फेस 3 में सामूहिक मंदिर स्वच्छता अभियान के माध्यम से परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले जी के जन्मोत्सव पर कृतज्ञता पुष्प अर्पण!

दीपक के कांच पर लगी हुई कालिख स्वच्छ करनी पडती है, तब ही दीपक का प्रकाश बाहर निकल सकता है । उसी प्रकार मंदिर की स्वच्छता करने से उस मंदिर का लाभ संपूर्ण समाज को होगा।

चोटीला (गुजरात) में स्थित आदिशक्ति का रूप श्री चंडी-चामुंडा देवी

सप्तर्षियों ने आगे कहा, ‘‘चोटीला गांव की पहाडी पर ‘चंडी-चामुंडा’ नामक देवियों की मूर्ति है । ये देवियां दो दिखाई देती हैं, तब भी वे एक ही (एकरूप) हैं । चंडी एवं चामुंडा, ये आदिशक्ति के ही रूप हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ, ये दोनों चंडी एवं चामुंडा के ही रूप हैं ।