अभ्यंग (मालिश)
संपूर्ण शरीर को अथवा शरीर के किसी भाग को तेल लगाकर मालिश करना, इसे ‘अभ्यंग’ कहते हैं ।अभ्यंग के कारण शरीर की थकान एवं वात दूर होता है । रंग में निखार एवं कांति आने में सहायता होती है ।
संपूर्ण शरीर को अथवा शरीर के किसी भाग को तेल लगाकर मालिश करना, इसे ‘अभ्यंग’ कहते हैं ।अभ्यंग के कारण शरीर की थकान एवं वात दूर होता है । रंग में निखार एवं कांति आने में सहायता होती है ।
परात्पर गुरुजी की शिक्षाओं पर चलना, भारत के युवा वर्ग का कर्तव्य है ! – पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी, अध्यक्ष, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस
शोभायात्राओं में शुभचिंतकों ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र रखी पालकी का पूजन किया, तथा अनेक जिज्ञासुओं ने धर्मध्वज और पालकी पर पुष्पवर्षा की । इन शोभायात्राओं को मिला हुआ उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर सनातन के कार्य का समर्थन करनेवाली फलोत्पत्ति ही है !
‘ईश्वर जब कोई कार्य निर्धारित करते हैं, तो प्रकृति, पंचमहाभूत, देवी-देवता एवं ऋषि-मुनि किस प्रकार उसे साकार रूप देते हैं ?’, यह दैवी नियोजन हम साधकों ने रथोत्सव के माध्यम से अनुभव किया ।
आध्यात्मिक गुरुओं का कार्य जब ज्ञानशक्ति के बल पर चल रहा होता है, तब उनके सहस्रारचक्र की ओर ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह आता है और वह उनके आज्ञाचक्र के द्वारा वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है ।
एकाध विषय ट्रेंड होने लगे, तो लगभग २ – ३ घंटों तक ही वह पहले ३० क्रमांकों में रहता है; पर Paratpar Guru की-वर्ड दिनभर राष्ट्रीय ट्रेंड पर था । इससे परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नाम पर किए गए ट्रेंड का महत्त्व ध्यान में आता है ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव निमित्त निकाली गई इस फेरी में मुंबई, ठाणे, रायगड एवं पालघर के १ सहस्र ५०० हिन्दू धर्माभिमानी सम्मिलित हुए थे । हिन्दुत्वनिष्ठ, सामाजिक एवं संप्रदाय, ऐसी २५ संगठनों का सहभाग था ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए भारतभर में पुजारी, संत एवं मान्यवरों की ओर से १ सहस्र ११९ मंदिरों में भगवान से प्रार्थना की गई, जबकि महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक एवं तेलंगाणा राज्यों में २३ स्थानों पर ‘हिन्दू एकता फेरी’ आयोजित की गईं ।
१९ मई को निकाली गई इस फेरी में आर्य समाज, ओम शांति, भारतमाता भजनी मंडल, विठ्ठलेश्वरी मंदिर के वारकरी संप्रदाय के भक्त, सनातन संस्था के साधक, शुभचिंतक, धर्मप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ के साथ २५० से भी अधिक लोग सम्मिलित हुए थे ।
‘इस्कॉन’ संप्रदाय के गिरीवरधारीदास प्रभु के हाथों धर्मध्वज का पूजन करने एवं तदुपरांन ह.भ.प. रामदास महाराज क्षीरसागर का हस्तों ध्वज को पुष्पमाला अर्पण कर गांधी मैदान से फेरी का प्रारंभ हुआ । पौरोहित्य सर्वश्री उपेंद्र खिस्ती एवं नरेंद्र खिस्ती ने किया ।