पू. भगवंतकुमार मेनराय द्वारा श्वास सहित नामजप जोड पाएं, इस हेतु किया मार्गदर्शन

साधकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उन्हें नामजप श्वास से जोडना है और श्वास नामजप से नहीं जोडना है, अर्थात नामजप की लय में श्वासोच्छ्वास नहीं करना है, अपितु श्वास की लय में नामजप करना है ।

विकार दूर होने के लिए आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार दिए कुछ विकारों पर नामजप – ३

‘कोई विकार दूर करने हेतु दुर्गादेवी, राम, कृष्ण, दत्त, गणपति, हनुमान एवं शिव, इन ७ मुख्य देवताओं में से कौनसे देवता का तत्त्व कितनी मात्रा में आवश्यक है ?’, यह मैंने ध्यान लगाकर ढूंढा और उस अनुसार मैंने कुछ विकारों पर जप बनाए ।

शरीर का भार बढाने के आयुर्वेदिक उपचार

शरीर का भार बढाने के लिए प्रतिदिन तेल मालिश करें, व्यायाम करें और पौष्टिक आहार का सेवन करें । जिन्हें भूख नहीं लगती, वे भूख बढानेवाली औषधि लें ।

स्थूलता (मोटापा) घटाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार

स्थूलता घटाने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें, औषधि से मर्दन (मालिश) करें, उचित आहार के साथ औषध का सेवन भी करें । ये सब प्रयत्न करने पर शरीर में जमा अनावश्यक मेद (चरबी) घटता है ।

विकार दूर होने के लिए आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार दिए कुछ विकारों पर नामजप – २

मैंने प्रथम ऐसा जप ‘कोरोना विषाणुओं’की बाधा दूर करने के लिए ढूंढा था । उसकी परिणामकारकता ध्यान में आने पर मुझे अन्य विकारों पर भी जप ढूंढने की प्रेरणा मिली । यह जप अर्थात आवश्यकतानुसार विविध देवताओं के एकत्रित जप है ।

६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने हेतु किए जानेवाले प्रयत्न

साधना छोडकर अन्य सभी विषयों में वार्षिक परीक्षा होती है । परीक्षा के पहले केवल २ – ३ माह अध्ययन करने पर भी अनेक लोग उत्तीर्ण हो जाते हैं, जबकि साधना में प्रतिदिन, प्रत्येक क्षण परीक्षा होती है । उसमें उत्तीर्ण होना पडता है, तब ही ६१ प्रतिशत एवं उसका अगला स्तर साध्य कर सकते हैं ।

दशम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन का उत्‍साहपूर्ण और भावपूर्ण वातावरण में आरंभ !

श्री रामनाथ देवस्‍थान, फोंडा, गोवा में दशम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन का भावपूर्ण और उत्‍सापूर्ण वातावरण मे आरंभ हुआ । यह अधिवेशन १८ जूनतक चलनेवाला है तथा इस अधिवेशन में विभिन्‍न राज्‍यों से आए ४५० प्रतिनिधि उपस्‍थित हैं ।

दशम ‘अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के निमित्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश

हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को सर्वप्रथम सभी के सामने रखनेवाले सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लक्ष्य से प्रेरित ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ द्वारा आयोजित 10वें ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के प्रारंभ होने के अवसर पर कार्यक्रम के लिए उपस्थित हिंदुत्ववादियों को दिया प्रेरक संदेश !

वह दिन दूर नहीं है जब हिन्दू एकत्रित आकर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करेंगे – अधि. विष्णु शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के द्वितीय सत्र ‘राष्‍ट्रीय कार्य एवं संवैधानिक सुधार’ इस विषय अंतर्गत मान्यवरों के विचार रामनाथी – ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना का (नमाज के पहले हाथ-पैर धोने का स्थान) पानी लगातार तीन दिन तक निकालने पर वहां भव्य शिवलिंग मिला । जिस समय मुझे उस भव्य शिवलिंग के दर्शन हुए, उस … Read more

श्री गणेशचतुर्थी से समय प्राणप्रतिष्ठा की हुई गणेशमूर्ति का देवत्व अगले दिन से न्यून होते जाना

‘भाद्रपद शुद्ध चतुर्थी पर मिट्टी का गणपति बनाते हैं । उसे बाएं हाथ पर रखकर वहीं उसकी ‘सिद्धिविनायक’ इस नाम से प्राणप्रतिष्ठा एवं पूजा कर तुरंत ही विसर्जन करें’