प्रभु श्रीरामजीका नामजप

श्रीविष्णु, श्रीराम एवं श्रीकृष्ण, अनेक श्रद्धालुओंके आस्थाकेंद्र हैं । कुछ हिंदुओंके ये सांप्रदायिक उपास्यदेवता हैं । बहुतांश उपासकोंको देवतासंबंधी जो थोडी-बहुत जानकारी रहती है, वह अधिकतर पढी-सुनी कथाओंसे होती है । ऐसी अल्प जानकारीके कारण देवताओंपर उनका विश्वास भी अल्प ही होता है । देवताओंकी अध्यात्मशास्त्रीय जानकारीसे उनके प्रति श्रद्धा निर्माण होती है एवं श्रद्धासे भावपूर्ण उपासना होती है । … Read more

श्रीरामनवमी उत्सव मनानेकी पद्धति

त्रेतायुगमें श्रीविष्णुके सातवें अवतार श्रीरामजीने पुष्य नक्षत्रपर, मध्याह्न कालमें अयोध्यामें जन्म लिया । वह दिन था, चैत्र शुक्ल नवमी । तबसे श्रीरामजीके जन्मप्रीत्यर्थ श्रीरामनवमी मनाई जाती है ।

श्रीरामजीके उपासनाकी सामान्य कृतियां एवं उपासनाके विविध प्रकार

देवताके तत्त्वका निरंतर लाभ मिलता रहे, इस हेतु उनकी उपासना भी निरंतर होनी चाहिए और ऐसी एकमात्र उपासना है नामजप । कलियुगके लिए नामजप ही सरल एवं सर्वोत्तम उपासना है ।

नारियल पूर्णिमा (श्रावण पूर्णिमा)

वरुणदेवता की कृपा हम पर एवं हमारे परिजनों पर सदैव बनी रहे, इसलिए समुद्र के किनारे रहनेवाले और समुद्र के माध्यम से अपना चरितार्थ चलानेवाले लोग श्रावण पूर्णिमा के दिन वरुणदेवता की पूजा कर समुद्र को नारियल अर्पण करते हैं ।

श्री गणपति

१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ गण ± पति · गणपति । संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक । पवित्रक अर्थात सूक्ष्मातिसूक्ष्म चैतन्यकण । ‘पति’ अर्थात स्वामी । ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकोंके स्वामी । १. ‘ॐ गँ गणपतये नमः ।’ यह श्री गणेशजी का तारक नामजप सुनें । १. ‘श्री गणेशाय नमः ।’ यह श्री गणेशजी का तारक नामजप सुनें । … Read more

हनुमान जयंती

कुछ पंचांगोंके अनुसार हनुमान जन्मतिथि कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी है, तो कुछ चैत्र पूर्णिमा बताते हैं । महाराष्ट्रमें हनुमानजयंती चैत्र पूर्णिमापर मनाई जाती है ।