दुर्गादेवी का नामजप

ईश्वरप्राप्ति के लिए हर युग में विविध उपासना बताई गई है । ‘कलियुग में नाम ही आधार है’, ऐसे संतों ने बताया है । इसका अर्थ है कि कलियुग में नामजप ही श्रेष्ठ साधना है । नामजप का संस्कार मन पर होने के लिए बडे आवाज में (वैखरी में) करना लाभदायी होता है । भगवान … Read more

श्री हनुमते नम:

हनुमानजीकी उपासनाका उद्देश्य अन्य देवताओंकी तुलनामें हनुमानजीमें अत्यधिक प्रकट शक्ति है । अन्य देवताओंमें प्रकट शक्ति केवल १० प्रतिशत होती है, जबकि हनुमानजीमें प्रकट शक्ति ७० प्रतिशत होती है । अत: हनुमानजीकी उपासना अधिक मात्रामें की जाती है । हनुमानजीकी उपासनासे जागृत कुंडलिनीके मार्गमें आई बाधा दूर होकर कुंडलिनीको योग्य दिशा मिलती है । साथही … Read more

आरोग्यदाता भगवान श्रीधन्वंतरीदेवता जयंती

हमारे सबसे मंगलमय तथा संपूर्ण भारतवर्षमें बडे हर्षोल्लासके साथ मनाया जानेवाला त्यौहार है, ‘दीपावली’ । इस मंगलपर्वका एक विशेषदिन जो शंख, चक्र, अमृत-कलश एवं औषधि लेकर कमलपर आसनस्थ श्रीधन्वंतरीदेवताके पृथ्वीपर अवतरणके उपलक्ष्यमें मनाया जाता है ।

बसंत पंचमी

‘सरसः अवती’, अर्थात् एक गतिमें ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमति । निष्क्रिय ब्रह्माका सक्रिय रूप; इसीलिए उन्हें ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’, तीनोंको गति देनेवाली शक्ति कहते हैं ।

नारियल फोडकर उद्‌घाटन क्‍यों किया जाता है ?

किसी भी समारोह अथवा कार्यको पूर्ण करनेके लिए देवताके आशीर्वाद आवश्यक हैं । शास्त्रीय पद्धति अनुसार उद्‌घाटन करनेसे दैविक तरंगोंका कार्यस्थलपर आगमन सुरक्षाकवचकी निर्मितिमें सहायक होता है ।

प्रभु श्रीरामजीका नामजप

श्रीविष्णु, श्रीराम एवं श्रीकृष्ण, अनेक श्रद्धालुओंके आस्थाकेंद्र हैं । कुछ हिंदुओंके ये सांप्रदायिक उपास्यदेवता हैं । बहुतांश उपासकोंको देवतासंबंधी जो थोडी-बहुत जानकारी रहती है, वह अधिकतर पढी-सुनी कथाओंसे होती है । ऐसी अल्प जानकारीके कारण देवताओंपर उनका विश्वास भी अल्प ही होता है । देवताओंकी अध्यात्मशास्त्रीय जानकारीसे उनके प्रति श्रद्धा निर्माण होती है एवं श्रद्धासे भावपूर्ण उपासना होती है । … Read more

श्रीरामनवमी उत्सव मनानेकी पद्धति

त्रेतायुगमें श्रीविष्णुके सातवें अवतार श्रीरामजीने पुष्य नक्षत्रपर, मध्याह्न कालमें अयोध्यामें जन्म लिया । वह दिन था, चैत्र शुक्ल नवमी । तबसे श्रीरामजीके जन्मप्रीत्यर्थ श्रीरामनवमी मनाई जाती है ।

श्रीरामजीके उपासनाकी सामान्य कृतियां एवं उपासनाके विविध प्रकार

देवताके तत्त्वका निरंतर लाभ मिलता रहे, इस हेतु उनकी उपासना भी निरंतर होनी चाहिए और ऐसी एकमात्र उपासना है नामजप । कलियुगके लिए नामजप ही सरल एवं सर्वोत्तम उपासना है ।