दर्शनार्थियोंको देवालयकी सात्त्विकताका लाभ क्यों नहीं होता ?

सात्त्विक तरंगोंको अवरुद्ध करनेवाली चमडेकी वस्तुएं, जैसे कमरका पट्टा अर्थात बेल्ट इत्यादि धारण कर देवालयमें प्रवेश नहीं करना चाहिए । इसलिए ऐसी वस्तुएं द्वारपर ही उतार दें ।

देवालयमें प्रवेश करनेसे पूर्व पुरुषोंद्वारा अंगरखा अर्थात शर्ट उतारकर रखनेकी पद्धति हो, तो उसक

व्यावहारिक रूपसे भलेही यह उचित न लगे; परंतु देवालयकी सात्त्विकता बनाए रखनेके लिए कुछ स्थानोंपर ऐसी पद्धति है ।

भगवान श्रीकृष्ण

१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ अ. ‘(आ)कर्षणम् करोति इति ।’, अर्थात आकर्षित करनेवाला । ‘कर्षति आकर्षति इति कृष्णः ।’ अर्थात, जो खींचता है, आकर्षित कर लेता है, वह श्रीकृष्ण । आ. लौकिक अर्थसे श्रीकृष्ण अर्थात काला । कृष्णविवर (Blackhole) में प्रकाश है, इसका शोध आधुनिक विज्ञानने अब किया है ! कृष्णविवर ग्रह, तारे इत्यादि सबको अपनेमें खींचकर नष्ट कर … Read more

अहं-निर्मूलन

सभी दृष्टिसे परिपूर्ण ईश्वरकी शरणमें जाकर अहं-निर्मूलनकी प्रक्रिया शास्त्रशुद्धरूपसे कार्यान्वित करनेसे अपने जीवनविषयक दृष्टिकोणमें हुआ आमूल परिवर्तन हमें सुखी वैवाहिक जीवन दे सकता है !

जन्मदिन तिथिके अनुसार ही क्‍यों मनाए?

जिस तिथिपर हमारा जन्म होता है, उस तिथिके स्पंदन हमारे स्पंदनोंसे सर्वाधिक मेल खाते हैं । इसलिए उस तिथिपर परिजनों एवं हितचिंतकोंद्वारा हमें दी गई शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद सर्वाधिक फलित होते हैं ।

दुर्गादेवी का नामजप

ईश्वरप्राप्ति के लिए हर युग में विविध उपासना बताई गई है । ‘कलियुग में नाम ही आधार है’, ऐसे संतों ने बताया है । इसका अर्थ है कि कलियुग में नामजप ही श्रेष्ठ साधना है । नामजप का संस्कार मन पर होने के लिए बडे आवाज में (वैखरी में) करना लाभदायी होता है । भगवान … Read more

श्री हनुमते नम:

हनुमानजीकी उपासनाका उद्देश्य अन्य देवताओंकी तुलनामें हनुमानजीमें अत्यधिक प्रकट शक्ति है । अन्य देवताओंमें प्रकट शक्ति केवल १० प्रतिशत होती है, जबकि हनुमानजीमें प्रकट शक्ति ७० प्रतिशत होती है । अत: हनुमानजीकी उपासना अधिक मात्रामें की जाती है । हनुमानजीकी उपासनासे जागृत कुंडलिनीके मार्गमें आई बाधा दूर होकर कुंडलिनीको योग्य दिशा मिलती है । साथही … Read more

आरोग्यदाता भगवान श्रीधन्वंतरीदेवता जयंती

हमारे सबसे मंगलमय तथा संपूर्ण भारतवर्षमें बडे हर्षोल्लासके साथ मनाया जानेवाला त्यौहार है, ‘दीपावली’ । इस मंगलपर्वका एक विशेषदिन जो शंख, चक्र, अमृत-कलश एवं औषधि लेकर कमलपर आसनस्थ श्रीधन्वंतरीदेवताके पृथ्वीपर अवतरणके उपलक्ष्यमें मनाया जाता है ।

बसंत पंचमी

‘सरसः अवती’, अर्थात् एक गतिमें ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमति । निष्क्रिय ब्रह्माका सक्रिय रूप; इसीलिए उन्हें ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’, तीनोंको गति देनेवाली शक्ति कहते हैं ।

नारियल फोडकर उद्‌घाटन क्‍यों किया जाता है ?

किसी भी समारोह अथवा कार्यको पूर्ण करनेके लिए देवताके आशीर्वाद आवश्यक हैं । शास्त्रीय पद्धति अनुसार उद्‌घाटन करनेसे दैविक तरंगोंका कार्यस्थलपर आगमन सुरक्षाकवचकी निर्मितिमें सहायक होता है ।