नवरात्रीके विविध विधी
जगत्का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्तिकी उपासना हिंदु धर्ममें वर्ष में दो बार नवरात्रिके रूपमें, विशेष रूपसे की जाती है ।
जगत्का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्तिकी उपासना हिंदु धर्ममें वर्ष में दो बार नवरात्रिके रूपमें, विशेष रूपसे की जाती है ।
नवरात्रिकी कालावधिमें महाबलशाली दैत्योंका वध कर देवी दुर्गा महाशक्ति बनी । जगत्का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्तिकी उपासना हिंदु धर्ममें विशेष रूपसे की जाती है ।
चातुर्मासमें किए जानेवाले व्रतोंके कारण व्यक्तिके साथ साथ वायुमंडलकी सात्त्विकता भी बढती है । इस सात्त्विकताके प्रभावसे अनिष्ट शक्तियोंके आक्रमणकी तीव्रता घट जाती है ।
कालमाहात्म्यानुसार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशीके दिन निर्जला व्रत करनेसे वर्षकी सभी एकादशी करनेका फल प्राप्त होता है । एकादशीका महत्त्व, एकादशी व्रतपालन करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ निषेध कृत्य इसके बारेमें हम जानेंगे ।
एकादशी यह भगवान श्रीविष्णुजीकी तिथि है ।एकादशी व्रत करनेसे, कार्यक्षमतामें वृद्धि होना, आयुवृद्धि होना एवं आध्यात्मिक उन्नति शीघ्र होनेमें सहायता मिलना ।
सात्त्विक तरंगोंको अवरुद्ध करनेवाली चमडेकी वस्तुएं, जैसे कमरका पट्टा अर्थात बेल्ट इत्यादि धारण कर देवालयमें प्रवेश नहीं करना चाहिए । इसलिए ऐसी वस्तुएं द्वारपर ही उतार दें ।
व्यावहारिक रूपसे भलेही यह उचित न लगे; परंतु देवालयकी सात्त्विकता बनाए रखनेके लिए कुछ स्थानोंपर ऐसी पद्धति है ।
१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ अ. ‘(आ)कर्षणम् करोति इति ।’, अर्थात आकर्षित करनेवाला । ‘कर्षति आकर्षति इति कृष्णः ।’ अर्थात, जो खींचता है, आकर्षित कर लेता है, वह श्रीकृष्ण । आ. लौकिक अर्थसे श्रीकृष्ण अर्थात काला । कृष्णविवर (Blackhole) में प्रकाश है, इसका शोध आधुनिक विज्ञानने अब किया है ! कृष्णविवर ग्रह, तारे इत्यादि सबको अपनेमें खींचकर नष्ट कर … Read more
सभी दृष्टिसे परिपूर्ण ईश्वरकी शरणमें जाकर अहं-निर्मूलनकी प्रक्रिया शास्त्रशुद्धरूपसे कार्यान्वित करनेसे अपने जीवनविषयक दृष्टिकोणमें हुआ आमूल परिवर्तन हमें सुखी वैवाहिक जीवन दे सकता है !
जिस तिथिपर हमारा जन्म होता है, उस तिथिके स्पंदन हमारे स्पंदनोंसे सर्वाधिक मेल खाते हैं । इसलिए उस तिथिपर परिजनों एवं हितचिंतकोंद्वारा हमें दी गई शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद सर्वाधिक फलित होते हैं ।