धूलिवंदन का महत्त्व

होली ब्रह्मांडका एक तेजोत्सव है । होलीके दिन ब्रह्मांडमें विविध तेजोमय तरंगोंका भ्रमण बढता है । इसके कारण अनेक रंग आवश्यकताके अनुसार साकार होते हैं । रंगोंका स्वागत हेतु होलीके दूसरे दिन ‘धूलिवंदन’ का उत्सव मनाया जाता है ।

रंगपंचमी मनाने का उद्देश्य

रंगपंचमीके दिन एक-दूसरेके शरीरको स्पर्श कर रंग लगानेसे नहीं; अपितु केवल वायुमंडलमें रंगोंको सहर्ष उडाकर उसे मनाना चाहिए । वातावरणमें होनेवाली प्रक्रिया रंगपंचमीके दिन तेजतत्त्वामक शक्तिके कण ईश्वरीय चैतन्यका प्रवाह एवं आनंद का प्रवाह पृथ्वीकी ओर आकृष्ट होता है ।

शिव-शिमगा कैसे मनाएं ?

धूलिवंदन के दिन अपने घरमें जन्मे नए शिशु की रक्षा हेतु उसके पहले होली पर विशेष विधि किया जाता है । इसे ‘शिव-शिमगा’ कहते हैं ।

हाथ उलटा कर मुंहपर रखकर जोरजोरसे चिल्लाने का शास्त्राधार

हुताशनी पूर्णिमा अर्थात होलिकोत्सव! होली प्रज्वलनके उपरांत हाथ उलटाकर मुंहपर रखकर जोरजोरसे चिल्लानेका कृत्य किया जाता है ।

होली की शास्त्रानुसार रचना एवं होली मनानेकी उचित पद्धति

होलीकी ऊंचाई साधारणतः पांच-छः फुट होनी चाहिए । होलीकी रचना करते समय मध्यस्थानपर गन्ना,
अरंड तथा सुपारीके पेडका तना खडा करते है । होलीकी रचनामें गायके गोबरसे बने उपलोंका उपयोग करते है ।

होली का महत्त्व एवं होली मनाने की पद्धति

होलीके दिन अग्निदेवताकी पूजा करनेसे व्यक्तिको तेजतत्त्वका लाभ होता है । इससे व्यक्तिमेंसे रज-तमकी मात्रा घटती है । इसीलिए इस दिन अग्निदेवताकी पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है ।

होली का त्यौहार

देश-विदेशमें मनाया जानेवाला होलीका त्यौहार रंगोंके साथ उत्साह तथा आनंद लेकर आपसी मनमुटावोंको त्यागकर मेलजोल बढाता है । जानिए, भावपूर्ण रीतिसे होली का पूजन करनेसे पूजक एवं पुराहित पर क्या परिणाम होते है ।

शिव पूजा की उपासना पद्धतियां

शिव पूजा में सबसे महत्त्वपूर्ण तथा शिवजीको प्रिय घटक है बिल्वपत्र । शिव पूजा कैसे करें ? शिवपिंडी की परिक्रमा कैसे करें ?

शिवपूजन में भस्म धारण का महत्व

यज्ञमें अर्पित समिधा एवं घीकी आहुतिके जलनेके उपरांत शेष बची पवित्र रक्षाको ‘भस्म’ कहते हैं । भस्मको विभूति एवं राख, इन नामोंसे भी जाना जाता है ।