देवालय की सात्त्विकता एवं भावपूर्ण दर्शन का महत्त्व

देवता के दर्शन भावपूर्ण करने से ईश्‍वर की अनुभूति होती हैं । देवालय की सात्त्विकता दर्शन हेतु पोषक होती है ।

देवताके प्रत्यक्ष दर्शन करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ महत्त्वपूर्ण बातें

देवताके दर्शन करते समय उनके चरणोंमें लीन होनेका भाव रखें । कोई भी वस्तु देवताके सामने रखी थालीमें रखें; परंतु देवताके शरीरपर न फेंकें ।

देवालयमें शिवजीके दर्शन कैसे करें ?

नंदीकी बाईं ओर साष्टांग नमस्कार करनेसे व्यक्तिमें शरणागतभाव जागृत होता है तथा देवालयमें विद्यमान चैतन्य तरंगें उसके देहमें प्रवाहित होने लगती हैं ।

देवालय के प्रांगणमें एवं सभामंडपमें कौनसे कृत्य करें ?

सभामंडपके निकट सीढियां हों, तो चढनेसे पहले दाएं हाथकी उंगलियोंसे प्रथम सीढीको स्पर्श कर नमन करें एवं उन उंगलियोंसे आज्ञा-चक्रको स्पर्श करें ।

भगवान श्रीराम संबंधी आलोचनाएं अथवा अनुचित विचार एवं उनका खंडन

धर्महानिको रोकने हेतु हिंदुओंको बौद्धिक बल प्राप्त होनेके लिए, व्रतोंके संबंधमें अनुचित धारणा और आलोचनाओंका खंडन दे रहे हैं ।

श्राद्धविधियोंको अनुचित ठहरानेवाले आधुनिक पुरोगामी व्यक्तियोंद्वारा आलोचना तथा उसका खंडन

धर्महानिको रोकने हेतु हिंदुओंको बौद्धिक सामर्थ्य प्राप्त हो, इसी उद्देश्यसे इस ग्रंथमें ; अनुचित विचार एवं आलोचना के खंडन संबंधी विषयका विस्तृत विवेचन किया हैं ।

‘व्रत’संबंधी आलोचनाएं अथवा अनुचित विचार और उनका खंडन

धर्महानिको रोकने हेतु हिंदुओंको बौद्धिक बल प्राप्त होनेके लिए, व्रतोंके संबंधमें अनुचित धारणा और आलोचनाओंका खंडन दे रहे हैं ।

‘विवाहसंस्कार’से संबंधित आलोचना अथवा अनुचित विचार एवं उनका खंडन

धर्मकी हानिको रोककर हिंदुओंको बौद्धिक सामर्थ्य प्राप्त हो इस हेतु ‘विवाहसंस्कार’से संबंधित अनुचित विचार एवं उनका खंडन कर रहे हैं ।