देवालय की सात्त्विकता एवं भावपूर्ण दर्शन का महत्त्व
देवता के दर्शन भावपूर्ण करने से ईश्वर की अनुभूति होती हैं । देवालय की सात्त्विकता दर्शन हेतु पोषक होती है ।
देवता के दर्शन भावपूर्ण करने से ईश्वर की अनुभूति होती हैं । देवालय की सात्त्विकता दर्शन हेतु पोषक होती है ।
देवताके दर्शन करते समय उनके चरणोंमें लीन होनेका भाव रखें । कोई भी वस्तु देवताके सामने रखी थालीमें रखें; परंतु देवताके शरीरपर न फेंकें ।
नंदीकी बाईं ओर साष्टांग नमस्कार करनेसे व्यक्तिमें शरणागतभाव जागृत होता है तथा देवालयमें विद्यमान चैतन्य तरंगें उसके देहमें प्रवाहित होने लगती हैं ।
सभामंडपके निकट सीढियां हों, तो चढनेसे पहले दाएं हाथकी उंगलियोंसे प्रथम सीढीको स्पर्श कर नमन करें एवं उन उंगलियोंसे आज्ञा-चक्रको स्पर्श करें ।
धर्महानिको रोकने हेतु हिंदुओंको बौद्धिक बल प्राप्त होनेके लिए, व्रतोंके संबंधमें अनुचित धारणा और आलोचनाओंका खंडन दे रहे हैं ।
धर्महानिको रोकने हेतु हिंदुओंको बौद्धिक सामर्थ्य प्राप्त हो, इसी उद्देश्यसे इस ग्रंथमें ; अनुचित विचार एवं आलोचना के खंडन संबंधी विषयका विस्तृत विवेचन किया हैं ।
धर्महानिको रोकने हेतु हिंदुओंको बौद्धिक बल प्राप्त होनेके लिए, व्रतोंके संबंधमें अनुचित धारणा और आलोचनाओंका खंडन दे रहे हैं ।
धर्मकी हानिको रोककर हिंदुओंको बौद्धिक सामर्थ्य प्राप्त हो इस हेतु ‘विवाहसंस्कार’से संबंधित अनुचित विचार एवं उनका खंडन कर रहे हैं ।
अन्न प्राणस्वरूप है, उसे सम्मानपूर्वक ग्रहण करनेसे ही बल एवं तेजसमें वृद्धि होती है ।
नामजप कर भोजन आरंभ करें । भोजन करते समय भी नामजप करते रहें । समय-समयपर प्रार्थना भी करें ।