नामजप कौनसा करें ?
जीवन के दुःखों का धीरज से सामना करने का बल एवं सर्वोच्च श्रेणी का स्थायी आनंद केवल साधनाद्वारा ही प्राप्त होता है । साधना अर्थात् ईश्वरप्राप्ति हेतु आवश्यक प्रयत्न ।
सनातन संस्था द्वारा विश्व पुस्तक मेल में ग्रंथ-प्रदर्शनी का आयोजन !
यहां प्रगति मैदान स्थित विश्व पुस्तक मेले में सनातन संस्था द्वारा ९ से १७ जनवरी की कालावधि में अध्यात्म, राष्ट्र-धर्म, देवता संबंधी अनमोल ज्ञान प्रदान करनेवाले ग्रंथों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया ।
उज्जैन के कार्तिक मेले में सनातन संस्था की प्रदर्शनी का उद्घाटन !
उज्जैन के कार्तिक मेले में सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति की प्रदर्शनी का उद्घाटन !
कालीदास जयंती के अवसर पर हस्तशिल्प मेले में सनातन संस्था द्वारा ग्रंथ-प्रदर्शनी का आयोजन !
सनातन संस्था द्वारा ग्रंथ-प्रदर्शनी का आयोजन !
कहां आधुनिक लेखकों का लेखन और कहां संतों का लेखन !
संत मीराबाई, संत तुलसीदास, संत कालीदास, संत जनाबाई, संत नामदेव महाराज, संत निवृत्तीनाथ महाराज, संत ज्ञानदेव, संत मुक्ताबाई, संत एकनाथ महाराज, समर्थ रामदास स्वामी, संत तुकाराम महाराज इत्यादि संत अनेक शताब्दियां बीत जानेपर भी लोगों की स्मृतियों में बसे हैं; परंतु आजकल जो साहित्यकार अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, उनके नाम कितने लोगों … Read more
फतेहपुर (राजस्थान) में धर्मशिक्षा एवं राष्ट्र्रजागृति प्रदर्शनी !
पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण रोकने हेतु लगाई प्रदर्शनी लाभदायी !
अखिल भारतीय धर्मसंघ शिक्षा मंडल के महामंत्री श्री. जगजीतनजी पाण्डेय ने सपरिवार सनातन के वाराणसी आश्रम को दी भेंट
अखिल भारतीय धर्मसंघ शिक्षा मंडल के महामंत्री श्री. जगजीतनजी पाण्डेय ने सपरिवार सनातन के वाराणसी आश्रम को भेंट दी
देग, तेग एवं फतेह के लिए लडनेवाले : गुरु गोविंद सिंहजी
सत् के मार्ग पर जब कदम रख ही दिए हैं, तो पीछे नहीं हटना; प्रसंग आने पर सत् के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर करना है । गुरु गोविंद सिंहजी सदा-सर्वदा ऐसे विचार करनेवाले थे । गुरु गोविंद सिंहजी ने जीवनभर क्षत्रिय धर्म निभाया । गुरु गोविंद सिंहजी बाल्यावस्था से ही अपने साथियों के साथ … Read more
श्रीराम की इच्छा बिना कुछ भी नहीं होता, इसकी साधकों को अनुभूति देनेवाले श्रीब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज !
श्रीब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराजजी का जन्म माघ शुक्ल पक्ष द्वादशी को (१९ फरवरी १८४५ को) सातारा जिले की माण तालुका गोंदवले बुद्रुक में हुआ । जन्म के समय उनका नाम गणपति रखा गया था । श्रीब्रह्मचैतन्य श्रीराम के उपासक थे । वे स्वयं को ब्रह्मचैतन्य रामदासी कहते थे ।