हे हिन्दू नारी, धर्माचरण से है तुम्हारी पहचान ! अबला नहीं, तुम हो रणरागिणी !
हमारी बेटियां, माताएं और बहनें जब तक दुर्गा अथवा झांसी की रानी का रूप नहीं धारण करतीं, तब तक हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए कि क्रांति सफल हुई ।
हमारी बेटियां, माताएं और बहनें जब तक दुर्गा अथवा झांसी की रानी का रूप नहीं धारण करतीं, तब तक हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए कि क्रांति सफल हुई ।
आश्रम सर्वत्र ईश्वर की चेतना से ओतप्रोत है । जिन जीवों का भाग्योदय हुआ है, वही यहां आ सके हैं । साधकों का आचरण अत्यंत मधुर, प्रेमपूर्ण एवं शालीन है । ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलता है; सभी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !
आगे दी प्रत्येक आकृति की ओर १ – २ मिनट देखने पर क्या प्रतीत होता है, इसका अध्ययन करें ।
स्वाधीनता आंदोलन के प्रयासों को सबल बनाने हेतु उन्होंने जनवरी १९०५ से इंडियन सोशियोलोजिस्ट नामक मासिक पत्र निकालना प्रारंभ किया और १८ फरवरी, १९०५ को इंडियन होमरूल सोसाइटी की स्थापना इस उद्देश्य से की कि भारतीयों के लिए भारतीयों के द्वारा भारतीयों की सरकार स्थापित हो ।
आज विश्व के प्रत्येक कोने में हिन्दू संस्कृति के प्रचार में रामायण, गीता, वेदोपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषि-मुनियों की कथाओं को पहुंचाने का एकमात्र श्रेय भाईजी को है ।
वंदे मातरम व स्वतंत्रतालक्ष्मी की जय कहने मात्र से अंग्रेज सरकार ने उन्हें दंडित किया था । ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य आरंभ रखनेवाले बाबाराव सावरकरजी अर्थात,स्वतंत्रतावीर विनायक दामोदर सावरकर के अग्रज थे ।
आगामी आपातकाल में साधकों की रक्षा हो व ब्रह्मांड से आनेवाले देवताआें के स्पंदन साधकों को मिलें, जिससे वे चैतन्यमय हों, इस हेतु महर्षि ने मंत्रशक्ति से प्रभारित तीन कलश भेजे हैं ।
वर्ष २०१६ में भारत में विपुल सुवृष्टि हो व आपात्काल का निवारण हो, इस हेतु महाराष्ट्र के बार्शी (सोलापुर) स्थित श्री योगीराज वेद विज्ञान आश्रम की ओर से अश्वमेधयाजी प.पू. नाना काळे गुरुजी के मार्गदर्शन में सौमिक सुवृष्टि योजनांतर्गत २५ सोमयागों का नियोजन किया गया है ।
सनातन प्रभात आध्यात्मिक नियतकालिक होने से इस लेखमाला में आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां दी हैं । इन पहेलियों से यह समझ में आएगा कि मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां क्या होती हैं ।
आगामी महायुद्धकाल में चिकित्सा-सुविधाएं दुर्लभ होंगी, तब इस ग्रंथमाला का महत्त्व समझ में आएगा ! समाज की सहायता हेतु आगामी आपातकाल की संजीवनी का प्रचार अत्यावश्यक !