रामायण के कुछ प्रसंगों का भावार्थ
अधर्मरूपी रावण पर धर्म के प्रतीक राम की विजय एवं रावण के सर्वनाश की कथा को ही प्रमुखतः ‘रामायण’ कहते हैं ।
अधर्मरूपी रावण पर धर्म के प्रतीक राम की विजय एवं रावण के सर्वनाश की कथा को ही प्रमुखतः ‘रामायण’ कहते हैं ।
विविध धर्मों के लोगों के विषय में विचार करने पर हिन्दू सर्वाधिक सुखी हैं । हिन्दुओं के पश्चात ईसाई, सिक्ख, बौद्ध,ज्यू एवं अंत में मुसलमान लोगों का क्रम आता है, नास्तिकों का क्रम सब से नीचे है !
किसी भी संख्या पर १ शून्य, २ शून्य, इस प्रकार बढते क्रम से शून्य लिखें, उदा. १, १०,१००, १०००, १००००, ……… इत्यादि ।
रामायणकालीन संस्कृति की ऐतिहासिक धरोहर का महत्त्व जागतिक स्तर पर सिद्ध होने पर भी भारतीय राज्यकर्ताआें द्वारा उसकी उपेक्षा करना, एक हिन्दूद्वेषी कर्म !
यहां प्रजापिता ब्रह्मकुमारी द्वारा आयोजित राजयोग से तनाव-मुक्त जीवन, इस विषय पर राज्योगिनी बी के उषा की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
श्रीविष्णु के नौवें अवतार, बौद्ध धर्म संस्थापक गौतम बुद्ध से भिन्न हैं । इसकी कारणमीमांसा आगे दी है ।
सनातन धर्म का आचरण करना तथा उसमें निहित सिद्धांत, परंपरा तथा उनका वहन करनेवाले संतों पर श्रद्धा रखने से ही सामान्य हिन्दुआें में धर्म के पक्ष में खडे रहने की पात्रता निर्माण होगी । हिन्दुआें, नववर्षारंभदिन के शुभावसर पर ऐसी पात्रता निर्माण करने की सिद्धता करें !
लंकाकांड के बातों से हम समझ सकते हैं कि रावण की बुद्धि को अहंकार तथा अभिमान ने संपूर्णत: ग्रसित कर लिया था । इस कारण रामसेतु बनने का समाचार सुनने पर भी रावण ने कुछ नहीं किया ।
भगवान श्रीकृष्णकी सीख दर्शानेवाले चित्र १ . भगवान श्रीकृष्णद्वारा ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी…’ इस श्लोक के माध्यम से एक पितासमान दिनचर्या से संंबंधित आचार सिखाना ‘२७.१०.२०१२ को मैं ‘दिनचर्यासे संबंधित आचार एवं उनका शास्त्र’ इस ग्रंथका मराठीसे तमिलमें भाषांतर करनेकी सेवा कर रही थी । उस समय ‘कराग्रे वसत लक्ष्मी …’ इस श्लोकका भावार्थ समझते समय मेरी भावजागृति हुई … Read more
‘पिछले सप्ताह मैं एक साधिकाके घर पंचांग और ग्रंथके संदर्भमें सेवा करने गई थी । सेवा करते समय उन्होंने मुझसे पूछा, ‘आप क्या भाव रखकर सेवा करती हैं ?’ तब मैंने उत्तरमें बताया, ‘ऐसा भाव रखते हैं कि हम भगवान श्रीकृष्णके बालक हैं और उनकी गोदमें बैठकर संगणकके साथ खेल रहे हैं ।