युनाइटेड किंगडम के सश्रद्ध हिन्दू हैं, सर्वाधिक सुखी लोग !

विविध धर्मों के लोगों के विषय में विचार करने पर हिन्दू सर्वाधिक सुखी हैं । हिन्दुओं के पश्‍चात ईसाई, सिक्ख, बौद्ध,ज्यू एवं अंत में मुसलमान लोगों का क्रम आता है, नास्तिकों का क्रम सब से नीचे है !

रामायणकालीन संस्कृति की ऐतिहासिक धरोहर की उपेक्षा करना, एक हिन्दूद्वेषी कर्म !

रामायणकालीन संस्कृति की ऐतिहासिक धरोहर का महत्त्व जागतिक स्तर पर सिद्ध होने पर भी भारतीय राज्यकर्ताआें द्वारा उसकी उपेक्षा करना, एक हिन्दूद्वेषी कर्म !

प्रजापिता ब्रह्मकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सनातन संस्था का सहभाग

यहां प्रजापिता ब्रह्मकुमारी द्वारा आयोजित राजयोग से तनाव-मुक्त जीवन, इस विषय पर राज्योगिनी बी के उषा की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

क्या श्रीविष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध एवं बौद्ध धर्म संस्थापक गौतम बुद्ध में है भेद ?

श्रीविष्णु के नौवें अवतार, बौद्ध धर्म संस्थापक गौतम बुद्ध से भिन्न हैं । इसकी कारणमीमांसा आगे दी है ।

हिन्दुओ, आनेवाले काल में स्वयं में धर्म के पक्ष में खडे रहने की पात्रता निर्माण करें !

सनातन धर्म का आचरण करना तथा उसमें निहित सिद्धांत, परंपरा तथा उनका वहन करनेवाले संतों पर श्रद्धा रखने से ही सामान्य हिन्दुआें में धर्म के पक्ष में खडे रहने की पात्रता निर्माण होगी । हिन्दुआें, नववर्षारंभदिन के शुभावसर पर ऐसी पात्रता निर्माण करने की सिद्धता करें !

रामायण के प्रसंगों के संदर्भ में शंका निरसन

लंकाकांड के बातों से हम समझ सकते हैं कि रावण की बुद्धि को अहंकार तथा अभिमान ने संपूर्णत: ग्रसित कर लिया था । इस कारण रामसेतु बनने का समाचार सुनने पर भी रावण ने कुछ नहीं किया ।

भगवान श्रीकृष्णद्वारा पितासमान, दिनचर्यासे संंबंधित आचार सिखाना

भगवान श्रीकृष्णकी सीख दर्शानेवाले चित्र १ . भगवान श्रीकृष्णद्वारा ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी…’ इस श्लोक के माध्यम से एक पितासमान दिनचर्या से संंबंधित आचार सिखाना  ‘२७.१०.२०१२ को मैं ‘दिनचर्यासे संबंधित आचार एवं उनका शास्त्र’ इस ग्रंथका मराठीसे तमिलमें भाषांतर करनेकी सेवा कर रही थी । उस समय ‘कराग्रे वसत लक्ष्मी …’ इस श्लोकका भावार्थ समझते समय मेरी भावजागृति हुई … Read more

कोई भी सेवा भगवान श्रीकृष्णकी कृपासे होनेकी अनुभूति

‘पिछले सप्ताह मैं एक साधिकाके घर पंचांग और ग्रंथके संदर्भमें सेवा करने गई थी । सेवा करते समय उन्होंने मुझसे पूछा, ‘आप क्या भाव रखकर सेवा करती हैं ?’ तब मैंने उत्तरमें बताया, ‘ऐसा भाव रखते हैं कि हम भगवान श्रीकृष्णके बालक हैं और उनकी गोदमें बैठकर संगणकके साथ खेल रहे हैं ।