नेपाल बचाऊ आंदोलन के श्री. बिष्णु प्रसाद बराल की सनातन संस्था की प्रदर्शनी से भेंट !

नेपाल हिन्दू राष्ट्र पुनर्स्थापना मंच के श्री. बिष्णु प्रसाद बराल ने उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र पर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित की गई प्रदर्शनी से भेंट की।

यहां जब भी मुसीबत आने वाली होती है मूर्ति से बहने लगते हैं आंसूू

देवभूमि के नाम से विख्यात इस प्रदेश में देवी देवताओं से कई रोचक बातें भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक रोचक कड़ी शक्तिपीठों में से एक बज्रेश्वरी देवी माता मंदिर कांगड़ा से भी जुड़ी है। इस मंदिर में देवी के साथ भगवान भैरव की भी एक चमत्कारी मूर्ति है।

उज्जैन : दूसरे अमृत स्नान में सनातन संस्था की ओर से साधुसंतों का स्वागत एवं यात्रा सुनियोजन

उज्जैन सिंहस्थपर्व का दूसरा ‘अमृत स्नान’ ! यात्रा सुनियोजन में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग उज्जैन : यहां के दूसरे वैश्विक अमृत स्नान के अवसर पर ९ मई को ३० लाख से अधिक भक्त एवं लाखो साधु-संतों ने क्षिप्रा नदी में पवित्र स्नान किया ! इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड प्रचंड … Read more

सनातन संस्था द्वारा उज्जैन सिंहस्थपर्व में अध्यात्मप्रसार

उज्जैन सिंहस्थपर्व में अध्यात्मप्रसार हेतु सेवाएं करते समय, ईश्‍वर ही यह कार्य कर रहे हैं, इसकी प्रतीति समाज के लोगों से उत्तम प्रतिसाद मिलने पर हो रही है । – (पूज्य) डॉ. चारुदत्त पिंगळे

सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा धर्मशिक्षा फलक और ग्रंथप्रदर्शनी कक्ष का उद्घाटन !

सनातन संस्था का कार्य धर्मानुरूप है ! – श्रद्धेयप्रवर पूज्य गुणप्रकाश चैतन्यजी महाराज

सनातन का कार्य विश्‍वव्यापी बने और आपातकाल में साधकों की रक्षा हेतु गोवा स्थित सनातन आश्रम में कलशारोहण

नाडीपट्टिका के माध्यम से महर्षिजी ने किए मार्गदर्शनानुसार रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम पर ३ दैवी कलशों की अक्षय तृतीया को स्थापना हुई । काल का प्रतिनिधित्व करनेवाले इन कलशों की स्थापना से आश्रम को मंदिर का स्वरूप प्राप्त हो गया है ।

विविध संतों द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का किया गया सम्मान !

संतों का कार्य आध्यात्मिक (पारलौकिक) स्तर का होने से लौकिक सम्मान एवं पुरस्कारों के प्रति उनमें कोई आसक्ति नहीं होती । अपितु मनोलय एवं अहं का लय होने से वे सामाजिक प्रतिष्ठा को प्राप्त करनेवाले सम्मान एवं पुरस्कार के परे जा चुके होते हैं । ऐसा होनेपर भी केवल संत ही संत की पहचान कर सकते हैं और उनको ही अन्य संतों के कार्य का महत्त्व समझ में आता है ।

उज्जैन सिंहस्थपर्व में साधना एवं गुरुकृपा के बल पर ३ साधक हुए जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त !

सेवा की लगन, ईश्‍वर द्वारा प्रदान परिस्थिति का स्वीकार करनेवाली महाराष्ट्र के वर्धा (विदर्भ ) की श्रीमती विजया बरडेजी के साथ-साथ दृढता और लगन से परिपूर्ण गुरुसेवा करे पुणे के श्री. जयहिंद सुतारजी ने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर सभी के समक्ष आदर्श रखा है ।

उज्जैन सिंहस्थ पर्व : सनातन संस्था की ओर से धर्मप्रसार

उज्जैन सिंहस्थ पर्व में २० अप्रैल को श्री बडा उदासीन अखाडा की ओर से हाथी, घोडे और ऊंटों पर साधुआें को बिठाकर भव्य पेशवाई (शोभायात्रा) निकाली गई ।

रामायण जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती है ।

रामकथा भोग की नहीं त्याग की कथा हैं । यहां त्याग की प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा ।चारों भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक है ।