‘निर्भय वॉक’ नहीं, अपितु ‘पारदर्शक वॉक’ करते हुए अंनिस दाभोलकर को (अंध)श्रद्धांजली अर्पित करे ! – सनातन संस्था का अंनिस को आवाहन

‘विवेक का जागर’, ‘निर्भय वॉक’, ‘वैज्ञानिक दिन’ आदि मोहक नामों पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंनिस) राज्यभर में दाभोलकर के स्मृतिदिन का कार्यक्रम करनेवाली है । जिस अंनिस के ट्रस्ट के हाथ आर्थिक घोटालों से सने हुए हैं, जिन्होंने ट्रस्ट की निधि में पारदर्शकता नहीं रखी है वे आधुनिकता का दिखावा कर विवेक का जागर करें, यह महाराष्ट्र की जनता के साथ ठगी है । इसलिए…

न्यास क्या है ?

मुद्रा द्वारा ग्रहण होनेवाली सकारात्मक (पॉजिटिव) शक्ति संपूर्ण शरीरभर में फैलती है, जबकि न्यास द्वारा वह सकारात्मक शक्ति  शरीर में विशिष्ट स्थान पर प्रक्षेपित कर सकते हैं ।

नोएडा, देहली, फरीदाबाद शहराें और देशभर में 154 स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया !

नोएडा, देहली, फरीदाबाद शहराें के गुरुपूर्णिमा महोत्सव के प्रारंभ में श्री व्यासपूजा और प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया । तत्पश्चात परात्पर गुरुदेव डॉक्टर जयंत आठवले जी द्वारा संकलित और सनातन द्वारा प्रकाशित ५ ग्रंथों का विमोचन किया गया । वक्ताओं ने श्रोताओं का मार्गदर्शन किया ।

किसानो, साधना मानकर खेती करें एवं समृद्ध हों !

इसलिए सनातन संस्था की सीख है कि किसानों की आत्महत्या की समस्या पर कर्जमाफी जैसे ऊपरी-ऊपर उपाय करने के स्थान पर प्रत्येक किसान को ईश्वरप्राप्ति के लिए साधना करना सिखानी चाहिए ।

सनातन संस्था द्वारा संपूर्ण देश में १५३ स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न !

माया के भवसागर से शिष्य और भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उनसे आवश्यक साधना करवानेवाले और कठिन समय में उन्हें निरपेक्ष प्रेम का आधार देकर संकटमुक्त करानेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है ‘गुरुपूर्णिमा’ !

रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में प्रतिष्ठापित ‘श्रीराम शालिग्राम’ की महिमा !

‘सनातन के आश्रम में प्रतिष्ठापित शालिग्राम पर स्वर्णरेखा है, साथ ही आश्रम में प्रतिष्ठापना होनेवाला शलिग्राम पर स्वर्णरेखा है । साथही वह देखते समय शिवलिंग जैसा दिखाई देता है ।

‘सनातन संस्था’ की ओर से बच्चों को “नैतिक शिक्षा” पर मार्गदर्शन !

दिल्ली के सैदुलाजाब स्थित “लिटिल वंस पब्लिक स्कूल” में सनातन संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा “नैतिक शिक्षा “विषय पर मार्गदर्शन किया गया। तीसरी से पांचवी कक्षा के लिए हुए इस वर्ग का लाभ कुल 57 बच्चो ने लिया।

परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा सिखाई गई ‘भावजागृति के प्रयास’ की प्रक्रिया ही आपातकाल में जीवित रहने के लिए संजीवनी !

आपकी दृष्टि सुंदर होनी चाहिए । तब मार्ग पर स्थित पत्थरों, मिट्टी, पत्तों और फूलों में भी आपको भगवान दिखाई देंगे; क्योंकि प्रत्येक बात के निर्माता भगवान ही हैं । भगवान द्वारा निर्मित आनंद शाश्वत होता है; परंतु मानव-निर्मित प्रत्येक बात क्षणिक आनंद देनेवाली होती है । क्षणिक आनंद का नाम ‘सुख’ है ।

समष्टि कार्य की लगन रखनेवाले पू. नीलेश सिंगबाळजी (आयु ५५ वर्ष) सद्गुरु पद पर विराजमान !

गुरुकृपायोगानुसार साधना कर पू. नीलेश सिंगबाळजी ने सद्गुरु पद प्राप्त किया । इस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी और सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी की पत्नी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने उनका सम्मान किया ।