आध्यात्मिक पहेली
अधिकांश नियतकालिकों में शब्दपहेलियां होती हैं । वे बौद्धिक स्तर की होती हैं । यहां मानसिक स्तर की पहेली दी है । सनातन प्रभात आध्यात्मिक नियतकालिक होने से इस लेखमाला में आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां दी हैं ।
अधिकांश नियतकालिकों में शब्दपहेलियां होती हैं । वे बौद्धिक स्तर की होती हैं । यहां मानसिक स्तर की पहेली दी है । सनातन प्रभात आध्यात्मिक नियतकालिक होने से इस लेखमाला में आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां दी हैं ।
कृष्णा नदी का पुष्कर पर्व १२ अगस्त से २३ अगस्त तक होगा । इस पर्वकाल में कृष्णा नदी में स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है । इस उपलक्ष्य में सनातन संस्था द्वारा यहां भव्य ग्रंथ प्रदर्शनी एवं बिक्री केंद्र लगाया गया है ।
अधिकांश प्रसारमाध्यम तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं पर होनेवाले अन्याय तथा अत्याचारों को स्पष्ट नहीं करते। अतः हिन्दुओं पर आनेवाले संकट समाज के सामने प्रस्तुत हो, इसलिए सोशल मीडिया (सामाजिक जालस्थल) एक प्रभावी माध्यम हुआ है।
महान भारतीय संस्कृति का जतन हों इस उदात्त उद्देश्य से सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, रायगड, पुणे, सांगली, पंढरपूर, लातूर आदि जिलों में विविध हिंदुत्ववादी संघटनों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, साथ ही विविध प्रशासकीय अधिकारियों को राखी बंधी गई।
आज सनातन की कोर्ट ट्रायल नहीं, अपितु मिडिया ट्रायल चालू है । सनातन संस्था पर अन्याय के विरुद्ध २० अगस्त को विशाल पदफेरी का आयोजन किया गया है । सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
इस अवसर पर स्वामीजी को सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन और रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन आश्रम में हुए उच्छिष्ट गणपति यज्ञ की दृश्य-श्रव्य चक्रिका दिखाई गई ।
हिन्दू धर्म में श्रावण का माह वर्ष में विशेष महत्त्व रखता है । इसी माह में नागपंचमी की शुभतिथि पर शिवभक्त पू. भगवंतकुमार मेनरायजी का जन्म हुआ है ।
विश्वयुद्ध में अंग्रेज सेना को बडी हानि पहुंची थी । इसलिए ब्रिटेन से भारत में अंग्रेज सैनिक भेजना संभव नहीं था । इसलिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने लोकसभा में स्पष्ट कहा कि अंग्रेजों को भारतीय साम्राज्य छोडना पड रहा है ।
विशिष्ट फूलों में विशिष्ट देवता के पवित्रक, अर्थात उस देवता के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण आकर्षित करने की क्षमता होती है ।
भिंड – शहर में भगवान शिव का करीब ९०० वर्ष पुराने वनखंडेश्वर मंदिर में स्थापना के बाद से ही अखंड ज्योति जल रही है। ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ यहां भोलेनाथ जागृत अवस्था में रहते हैं। शहर में तेज वर्षा के दौरान यहां मंदिर में पानी भर गया, जिसमें शिवलिंग भी डूब गया। किंतु मंदिर के अंदर अखंड ज्योत के पहले के पास पहुंचने से पहले ही वर्षा थम गई।