मन की बात : गणेश उत्सव पर मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करें !

रविवार को रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक जी ने सार्वजनिक गणेशोत्सव के धार्मिक अवसर को राष्ट्र जागरण का पर्व बनाया। गणेश उत्सव में हमें पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेने की जरूरत है।

श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन से जलाशय प्रदूषित नहीं होते ! – गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडल का निष्कर्ष

गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा वर्ष २०१५ के श्री गणेश विसर्जन के समय की गई जांच से पुनः एक बार स्पष्ट हो गया है कि श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन से जलाशय के पानी के घटक में कोई परिवर्तन नहीं होता !

गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी की सनातन पर कृपादृष्टि !

सनातन को अनिष्ट शक्तियों से होनेवाले कष्ट और हिन्दू धर्म के प्रचार में उनके द्वारा उत्पन्न की जानेवाली बाधाएं दूर होने के लिए गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी ने वर्ष २००४ से उनके देहत्याग तक जप, हवन, सप्तशतिपाठ आदि कर्म किए ।

कुंड के पानी में रखी श्री गणेशमूर्ति के विघटन हेतु उसमें अमोनियम बायकार्बोनेट छोडने का अघोरी निर्णय !

पुणे महानगरपालिका ने इस वर्ष श्रीगणेशमूर्तियों का विसर्जन कराने के लिए बनाए जानेवाले तात्कालिक कुंडों में श्रीगणेशमूर्तियों को घुलाने के लिए पानी में अमोनियम कार्बोनेट (बेकिंग सोडा) का मिश्रण करने का निर्णय लिया है ।

पनवेल में श्री गणेशमूर्ति बनाने की कार्यशाला और सनातन-निर्मित सात्त्विक गणेशमूर्ति की प्रदर्शनी !

श्री गणेश कला केंद्र एवं इरा फॉर वुमन के संयुक्त आयोजन में यहां के ओरियन मॉल में २० और २१ अगस्त को श्री गणेशमूर्ति बनाने की कार्यशाला, साथ ही सनातन संस्था के मार्गदर्शनानुसार बनाई गईं सात्त्विक गणेशमूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई गई थी ।

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के करकमलों से द्वितीय साग्निचित् अश्मेवध महासोमयागका संकल्प !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में आ रही बाधाएं दूर हों और संपूर्ण विश्व में सुख एवं शांति बनी रहे, इस हेतु सोलापुर जिले की बार्शी तहसील के कासारवाडी स्थित श्री योगीराज वेद विज्ञान आश्रम में द्वितीय साग्निचित् अश्मेवध महासोमयाग का आयोजन किया गया है ।

साष्टांग नमस्कार ऐसे करें !

विद्यार्थियो, जीवन की समस्याओं या दुःखभरे प्रसंगों में हम डगमगा जाते हैं । उनका धैर्यपूर्वक सामना करने हेतु बल कहां से प्राप्त होगा ? जीवन में उत्पन्न परिस्थिति को स्वीकारकर नित्य आनंदमय जीवन कैसे जी पाएंगे ? उत्तर है नामजप से !

आध्यात्मिक उपाय आपातकाल की संजीवनी है, अत: गंभीरता से करें !

साधकों की साधना खंडित हो, इसलिए अनिष्ट शक्तियां हर प्रकारसे प्रयत्न कर रही हैं । इसलिए साधकों की रक्षा होने हेतु प.पू. गुरुदेव समय-समय पर सनातन प्रभात नियतकालिकों के माध्यम से विविध आध्यात्मिक उपचार बताते हैं ।

साधको, अपने आसपास मानस रूप से नामजप की पेटी बनाकर उस पेटी में सोएं !

अनेक साधकों को प्रातः जागने पर विविध प्रकार के कष्ट होते हैं । इस प्रकार के कष्टों से पीडित साधक तथा अन्य साधक भी जब रात में सोने से पूर्व मानस रूप से नामजप की पेटी बनाकर उसमें सोए, तब यह ध्यान में आया कि उन्हें होनेवाले विविध प्रकार के कष्ट घट गए हैं ।

योगः कर्मसु कौशलम् । इस वचन की प्रतीति देनेवाले सनातन के साधकों की परिपूर्ण सेवाभाव से साकार हुई कलाकृतियां !

कला ईश्‍वरप्राप्ति का एक माध्यम है । उस कला के स्वरूप की अपेक्षा उसे करते समय आनंद अनुभव करना अधिक महत्त्वपूर्ण है । योग्य साधना करने के कारण प्रत्येक कृत्य परिपूर्ण होता है और उस परिपूर्णता से ही सुंदर कला की उत्पत्ति होती है ।