भगवान श्रीकृष्ण की विशेषताएं एवं कार्य

श्रीकृष्ण द्वारा बताया हुआ तत्त्वज्ञान गीता में दिया है । उन्होंने अपने तत्त्वज्ञान में प्रवृत्ति (सांसारिक विषयों के प्रति आसक्ति) एवं निवृत्ति (सांसारिक विषयों के प्रति विरक्ति) के बीच योग्य संयोजन दर्शाया है ।

गुरुकृपा होने के लिए गुरु पर पूर्ण श्रद्धा होना आवश्यक !

यदि किसी में लगन हो, तो उसे गुरु की कृपा अपनेआप मिलती है । गुरु को उसके लिए कुछ करना नहीं पडता । केवल संपूर्ण श्रद्धा होना आवश्यक है । गुरु ही उसे उसके लिए पात्र बनाते हैं ।

गुरुके कौन-कौनसे प्रकार हैं ?

८.१०.१९९५ के दिन इंदौरमें मैंने (डॉ. जयंत आठवलेने) बाबासे (प.पू. भक्तराज महाराजजीसे) कहा, ‘‘जब आप बीमार होते हैं, तो आपके पास रहकर आपकी सेवा करनेके विचारकी अपेक्षा ग्रन्थ लिखनेके विचार अधिक आते हैं । सगुण देहकी सेवा मनसे नहीं होती ।’’ इसपर बाबा बोले, ‘‘तुम्हें लगता है कि ग्रन्थ लिखना चाहिए, वही ठीक है । वह ईश्‍वरीय कार्य है ।

शिष्य के जीवन में गुरुका अनन्यसाधारण महत्त्व !

गुरु का महत्त्व ज्ञात होने पर नर से नारायण बनने में अधिक समय नहीं लगता; क्योंकि गुरु देवता का प्रत्यक्ष सगुण रूप ही होते हैं, इसलिए जिसे गुरु स्वीकारते हैं उसे भगवान भी स्वीकारते हैं एवं उस जीव का अपनेआप ही कल्याण होता है ।

आधुनिकतावादियों द्वारा हिन्दू संगठनों की प्रतिमा कलंकित करने का ‘षड्यंत्र’ – श्री. प्रमोद मुतालिक

धारवाड : ३० अगस्त को यहां के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा सनातन के समर्थनार्थ एक मोर्चा निकाला गया था ।

आधुनिकतावादियों द्वारा हिन्दू संगठनों की प्रतिमा कलंकित करने का ‘षड्यंत्र’ : श्री. प्रमोद मुतालिक

इस फेरी में सम्मिलित श्रीराम सेना के श्री. प्रमोद मुतालिक ने कहा कि, इन पुरो(अधो)गामियोंद्वारा सनातन संस्था पर मिथ्या आरोप लगा कर हिन्दू संगठनों की प्रतिमा को कलंकित करने का एक बड़ा ‘षड्यंत्र’ है !

आध्यात्मिक पहेली

अधिकांश नियतकालिकों में शब्दपहेलियां होती हैं । वे बौद्धिक स्तर की होती हैं । सनातन प्रभात आध्यात्मिक नियतकालिक होने से इस लेखमाला में आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां दी हैं । अत: इससे मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक स्तर की पहेलियों में भिन्नता ध्यान में आएगी ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव निमित्त…

प.पू. डॉक्टरजी हिन्दू धर्म की ग्लानि दूर करने के लिए ग्रंथ, नियतकालिकों के माध्यम से. निरंतर मागदर्शन करते रहते हैं । प्रत्येक साधक को मोक्षप्राप्ति हो, ऐसा ही मार्गदर्शन वे करते रहते हैं ।