भावपूर्ण दीपावली कैसे मनाएं ?

आइए, गुरुदेव द्वारा मन में प्रज्वलित राष्ट्र्र-धर्म के कार्य की ज्योति से अज्ञान के अंधकार में डूबे समाज को दिशा देने का कार्य करें !

हिंदुत्व एक सामर्थ्यशाली संस्कृती है : डेविड फ्रॉली, अमेरिकी वैदिक शिक्षक

पद्म भूषण से सम्मानित अमेरिकी वैदिक टीचर डेविड फ्रॉली भारत में पंडित वामदेव शास्त्री के नाम से भी जाने जाते हैं। उनके पास योग और वैदिक विज्ञान में डी-लिट की उपाधि है। वह वेद, हिंदुत्व, योग, आयुर्वेद और वैदिक ज्योतिषी पर कई पुस्तके लिख चुके हैं।

अनिष्ट शक्तीयों से बचना है तो स्वयं पर गौमूत्र छिडके : गुजरात गौ सेवा बोर्ड

गुजरात सरकारद्वारा बनाए गए गौसेवा और गौचर विकास बोर्डद्वारा गाय के फायदे बताते हुए कहा गया है कि, गौमूत्र ‘शैतान और ड्रेकुला’ जैसे अनिष्ट शक्तीयों से बचाने के लिए काम आता है।

अर्धनारीश्वर शिवलिंग : शिवलिंग के दोनों भागों के बीच अपनेआप घटती-बढती हैं दूरियां

इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुअा है। मां पार्वती और भगवान शिवजी के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढता रहता है।

मैं हूं… सनातन की ग्रंथसंपदा.. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का धर्मदूत !

सनातन के रजत महोत्सव के निमित्त सनातन की ग्रंथसंपदा का अद्वितीयत्व दर्शानेवाला यह लेख…

अश्‍वमेधयाजी प.पू. नारायण (नाना) काळेगुरुजी के पार्थिव पर वेदमंत्रों के जयघोष में अग्निसंस्कार

अश्‍वमेधयाजी प.पू. नारायण (नाना) गोविंद काळेगुरुजी (आयु ८४ वर्ष ) ने दशहरे के शुभदिवस पर अर्थात ११ अक्तूबर को देहत्याग किया। तत्पश्चात आश्विन शुक्ल पक्ष एकादशी अर्थात १२ अक्तूबर को सवेरे चार वेदों के मंत्रघोष में उनके पार्थिव को मंत्राग्नि दी गई।

प.पू. दादा महाराज झुरळे

१. वात्सल्यपूर्ण वाणी से अध्यात्म सिखानेवाले प.पू. दादा महाराज झुरळे ! वर्ष १९८३ में अध्यात्म में जिज्ञासा जागृत होने के पश्चात मैं अध्यात्म समझने के लिए अनेक सन्तों के पास जाता था । उनमें से एक थे प.पू. दादा महाराज झुरळे । उन्हें मैं दादा कहता था । मैं दादा के पास अध्यात्म सीखने के … Read more

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन द्वारा विविध क्षेत्रों में किया आध्यात्मिक शोध

अनिष्ट शक्ति, घरों में हुए परिवर्तन और दैवीकणों से संबंधित सैकडों संदर्भ सनातन ने दृश्य-श्रव्य चक्रिकाओं में उपलब्ध करवा दिए हैं । इस शोधकार्य में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय से भी सहायता मिल रही है । यह शोध अब महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के जालस्थल (वेबसाइट) पर प्रकाशित किए गए हैं ।

स्वसूचना

स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया में स्वसूचना बनाना एवं स्वसूचना के अभ्याससत्र करना, ये दो महत्त्वपूर्ण चरण हैं । इनमें से यदि एक भी चरण पर चूक हो जाए, तो प्रक्रिया का अपेक्षित परिणाम नहीं दिखाई देता ।

स्वभावदोष के लिए स्वसूचना की उपचारपद्धति निश्चित करना और स्वसूचना बनाना

प्रक्रिया के अंंतर्गत प्रत्येक स्वभावदोष के लिए स्वसूचना की उपचारपद्धति निश्चित करना और स्वसूचना बनाना