आम्लपित्त : आजकल की बडी समस्या एवं उस पर उपाय !

आम्लपित्त के कष्ट के पीछे के कारणों का तज्ञों की सहायता से शोध लेकर उनपर कायमस्वरूपी उपचार करना अत्यावश्यक है । इसके लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने की तैयारी होनी चाहिए ।

साधकों पर आनेवाला अनिष्ट शक्तियों का आवरण निकालने की एक लाभदायक पद्धति !

आवरण निकालते समय बिना प्रदीप्त सनातन की सात्त्विक उदबत्ती का उपयोग करें । उसे अपने जिस चक्र का आवरण निकालना है, उससे घडी के कांटे की दिशा से तथा घडी के कांटे की विपरीत दिशा से इस प्रकार दोनों ओर से तीन बार घुमाएं ।

खाद्यपदार्थाें के संदर्भ में विवेक जागृत रखें !

पोषणमूल्यहीन, चिपचिपे, तेल से भरे तथा ‘प्रिजर्वेटिव पदार्थाें का उपयोग किए गए तथा स्वास्थ बिगाडनेवाले पदार्थ खाने की अपेक्षा पौष्टिक, सात्त्विक तथा प्राकृतिक पदार्थ खाने चाहिए । चॉकलेट आदि पदार्थ कभी कभी खाना ठीक है; किंतु नियमित सेवन न करें ।’

पितृपक्ष में महालय श्राद्ध कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्‍त करें !

पितृपक्ष में पितृलोक पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं । श्राद्धविधि करने से पितृदोष के कारण साधना में आनेवाली बाधाएं दूर होकर साधना में सहायता मिलती है ।

सनातन की साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला रामदास केसरकरजी ने प्राप्त किया सनातन का १२१ वां संतपद एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी प्रकाश मराठेजी ने १२२ वां संतपद !

‘मूल ठाणे के दंपति अधिवक्ता रामदास केसरकर एवं श्रीमती प्रमिला केसरकर २७ वर्ष पूर्व सनातन संस्था के संपर्क में आए और उन्होंने साधना आरंभ की । वर्ष २००८ में वे दोनों रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में साधना के लिए आए ।

विकार दूर करने के लिए आवश्यक देवताओं के तत्त्वानुसार दिए गए कुछ विकारों पर नामजप – ५

आगामी आपत्काल में आधुनिक वैद्य अथवा उनकी दवाएं उपलब्ध नहीं होंगी । उस समय यह ज्ञात करना कठिन होगा कि किस विकार के लिए क्या उपाय कर सकते हैं । अतः साधक यह लेख संग्रह करके रखें तथा उसी के अनुसार नामजप करें । इससे विकार अल्प होने में लाभ होगा ।

‘कोटिश: कृतज्ञता’ ऐसा क्यों कहा जाता है ?

साधारण मानव को परिवार का पालन करते समय भी परेशानी होती है । परमेश्वर तो सुनियोजित रूप से पूरे ब्रह्मांड का व्यापक कार्य संभाल रहे हैं । उनकी अपार क्षमता की हम कल्पना भी नहीं कर सकते ! ऐसे इस महान परमेश्वर के चरणों में कोटिशः कृतज्ञता !

वाहन की दुर्घटना न हो, साधक इसकी दक्षता इस प्रकार लें तथा प्रवास में उपयोग करने का ‘दुर्घटना निवारण यंत्र’!

‘वर्तमान में आपत्काल की तीव्रता तथा अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण बढ रहे हैं । अतः साधकों के संदर्भ में निरंतर वाहन की दुर्घटना होने की घटनाएं हो रही हैं । अतएव साधक दुपहिया तथा चारपहिया वाहन चलाते समय आगे प्रस्तुत सावधानी अवश्य लें ।

‘तीव्र आपातकाल में केवल साधना ही मनुष्य को बचा सकेगी’, इस विषय में परात्पर गुरु डॉक्टर आठवले द्वारा समय-समय पर किया महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन !

परात्पर गुरु डॉ. आठवले ने आपातकाल में जीवनावश्यक वस्तएं एवं औषधियों के बिना दयनीय अवस्था न हो, इसलिए स्थूल से पूर्वतैयारी करने के विषय में जागृति की । इसके साथ ही आपातकाल का सामना करने के लिए साधकों की आध्यात्मिक स्तर पर तैयारी भी करवा ले रहे हैं । अब कोरोना महामारी के काल में ही बाह्य परिस्थिति इतनी प्रतिकूल हो गई है, तो भावी भीषण आपातकाल में क्या स्थिति होगी ?

पूर्वजों के कष्ट दूर होने हेतु पितृपक्ष में नामजप और श्राद्धविधि करें !

साधकों के लिए सूचना १. भगवान दत्तात्रेय का नामजप करें । ‘आजकल अनेक साधकों को अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (१० से २४ सितंबर २०२२ की अवधि में) इन कष्टों में वृद्धि होने से इस कालावधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ’ नामजप … Read more