कुछ देवियों की उपासना की विशेषताएं
अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं
अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं
उपासनामें कुमकुमार्चनका महत्वपूर्ण स्थान है। कुमकुमार्चन करने के उपरांत मूर्ति जागृत होती है। देवी को कुमकुमार्चन करने की दो पद्धतियां हैं।
साडी और चोली वस्त्र-नारियल से देवी का आंचल भरना, यह देवी के दर्शन के समय किया जानेवाला एक प्रमुख उपचार है । यह शास्त्र समझकर, इसे भावपूर्ण करने से, उसका आध्यात्मिक लाभ अधिक प्रमाण में श्रद्धालु को मिलता है ।
पढीएं देवीमांको विशिष्ट फूल चढानेका शास्त्रीय आधार, देवीपूजनमें निषिद्ध फूल, देवीमांके लिए नैवेद्य बनाना, देवी मांकी आरती ।
श्रावणमास में सभी हिन्दु मिल कर बड़े आनंद के साथ त्यौहार मनाते हैं; परंतु परधर्मी हिन्दूओं के त्यौहार के दिन ही दंगे कर उस आनंद को छिन लेते हैं ! हिन्दुओं के त्यौहार आनेपर ही कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न जागृत होता है।
८ अगस्त को पुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के शुभहाथों सनातन संस्था के ‘प्राणशक्ति (चेतना) प्रणालीमें अवरोधोंके कारण होनेवाले विकारोंपर उपचार’ इस हिन्दी ग्रंथ का विमोचन किया गया।
भगवान की कृपा सभी पर हो, यह प्रार्थना करता हूं। कर्नाटक के राणेबेन्नुरु के श्री रामकृष्ण विवेकानंद आश्रम के श्री प्रकाशानंदजी महाराज ने सनातन संस्था के लिए यह आशीर्वचन कहे।
सनातन संस्था राजस्थान के नगरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ऋषि परंपरा एवं साधना का संस्कार देने का अमूल्य कार्य कर रही है । विशेष रूप से सनातन संस्था का समाज एवं राष्ट्र के विकास में अभूतपूर्व योगदान है । कुछ राष्ट्रविरोधी एवं नास्तिक विचारों के संगठन शासन से संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने देहली के वसंतकुंज निवासी पू. स्वामी सर्वानंद सरस्वतीजी से भेंट की तथा समिति के कार्य के संदर्भ में जानकारी प्रदान की। साथ ही इस समय पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने स्वामीजी को सनातन के रामनाथी, गोवा आश्रम को भेंट देने का निमंत्रण दिया।
मोक्षपट के दोनों ही पट २० x २० इंच आकार के हैं एवं उसमें ५० चौकोन हैं। उसमें प्रथम घर ‘जनम’ का जब कि अंतिम घर ‘मोक्ष’ का है जिसकेद्वारा मनुष्य के जीवन की यात्रा दर्शाई गई है। मोक्षपट खेलने हेतु सांपसीढी के समान ही ६ कौडियों का उपयोग किया गया है।