सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें ये चीजें मिली हुई हैं –
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें ये चीजें मिली हुई हैं – EE 322 – गाय का मांस
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें ये चीजें मिली हुई हैं – EE 322 – गाय का मांस
योग भारत की प्राचीनतम विधा है। हाल के दिनों में योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पसंद किया जा रहा है। भारत सरकार की पहल पर पूरा विश्व २१ जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी मना चुकी है। कल (गुरुवार) इसे संयुक्त राष्ट्र की अनुषंगी इकाई यूनेस्को ने सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में सम्मिलित कर लिया है।
गोसेवा से संतान प्राप्त होती है । गोबर का उपयोग खाद के रूप में करने से अन्नरूपी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । केवल दूध-घी ही नहीं; अपितु गोमूत्र भी आरोग्यदायी और रोगनाशक है ।
गोपियुष अर्थात प्रसूती पश्चात ४८ से ७२ घंटों में गाय द्वारा प्राप्त प्रथम दूध । गोपियुष और माता द्वारा प्राप्त पियुष में वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत सी समानता पाई गई है । गोपियुष में रोगप्रतिकारक शक्ति और शरीर की सुदृढता के लिए आवश्यक ९० से अधिक पोषकतत्त्व हैं । गोपियुष सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्वरप्रदत्त अनमोल देन है ।
रच्च्बिन म्यूजियम आॅफ आर्ट अगले वर्ष फरवरी से एक महीने के लिए ‘ओम लैब’ प्रदर्शनी का आयोजन करेगा। प्रदर्शनी में लोगों को ‘ओम’ के महत्व के बारे में बताया जाएगा। जून में आयोजित हो रही प्रदर्शनी ‘द वर्ल्ड इज साउंड’ में सामूहिक रूप से इस मंत्र का जाप किया जाएगा।
संस्कृतभाषा के अध्ययन, प्रचार और अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट योगदान के लिए थाईलैंड की राजकुमारी महाचक्री श्रींदोर्ण और अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के जार्ज कारडोना को विश्व संस्कृत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हिमालय, कैलास जैसे संस्कृत नाम होनेवाले स्थान बार-बार वह भूमी हिन्दुओं की ही होना सिद्ध करते हैं। अतः कश्मीर के स्वतंत्रता की घोषणा करनेवालों को यह ध्यान में लेना चाहिए कि, अब इन ४ लाख ५० सहस्र विस्थापितों के साथ देशभर की १०० करोड हिन्दू जनता है।
यहां मध्यप्रदेश शासन की ओर से ‘लोकमंथन’ : देश-काल-स्थिति’ इस विषय पर विचारक एवं कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन संपन्न हुआ। इस अवसर पर देश-विदेश के विचारक इसमें सम्मिलित हुए थे। इसमें हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता एवं सनातन के साधक भी सम्मिलित हुए थे।
वैष्णो देवी से लेकर कन्या कुमारी तक भारत में मां दुर्गा के बहुत से मंदिर हैं किंतु यदि किसी मुस्लिम देश में मंदिर मौजूद हो तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। रूस और ईरान के बीच में स्थित मुस्लिम देश अजरबैजान में सुराखानी नामक स्थान पर माँ भगवती का एक प्राचीन मंदिर स्थित है।
आशापुरी स्थित मंदिर देखने में भले ही छोटे हों, परंतु इनको बनाने में २०० साल लगे हैं। इन ऐतिहासिक मंदिरों से जुड़ी जानकारी एसपीएस भोपाल और ब्रिटेन की कार्डिफ विश्वविद्यालय के वेल्स स्कूल ऑफ वास्तु-विद्या की समूह के अध्ययन में सामने आई है।