आयुर्वेदानुसार अपनी दिनचर्या बनाएं !
सेब मूलतः भारतीय फल है ही नहीं । अंग्रेज उसे अपने साथ लाए थे । वास्तव में इस फल में ऐसे कोई भी विशेष औषधीय गुणधर्म नहीं हैैं, जो भारतीय फलों में पाए जाते हैं ।
सेब मूलतः भारतीय फल है ही नहीं । अंग्रेज उसे अपने साथ लाए थे । वास्तव में इस फल में ऐसे कोई भी विशेष औषधीय गुणधर्म नहीं हैैं, जो भारतीय फलों में पाए जाते हैं ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए समाज का सत्त्वगुण बढना आवश्यक है । १ सहस्र साधकों ने आध्यात्मिक उन्नति की, जिसका आध्यात्मिक परिणाम समाज की सात्त्विकता बढने में होगा और इस माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मार्ग सुगम होगा । धन्य हैं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी और धन्य है उनके द्वारा बताया गया गुरुकृपायोग साधना का मार्ग !
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री. विष्णु शंकर जैन ने हालही में ‘अधिवक्ता ऑन रेकॉर्ड’ परीक्षा में प्राप्त की सफलता ।
हमारा भारत देश आरंभ से ही ‘श्रीयंत्रांकित’ है ! उपर का त्रिकोण हिमालय, अरवली एवं सातपुडा पर्वतों से मिलाकर बना है। विंध्य पर्वत नीव होनेवाला तथा बाजू की दो पूर्वघाटियां एवं पश्चिम घाटी को मिलाकर नीचला त्रिकोण बना है।
यहां के हीमोफीलिया सोसायटी वाराणसी की ओर से शीतकालीन हीमोफीलिया शिविर का आयोजन किया गया । इस शिविर में हीमोफीलिया पीडित बच्चों के लिए सनातन संस्था वाराणसी द्वारा मनोबल बढने हेतु साधना का महत्त्व इस विषय पर प्रवचन लिया गया ।
फरीदाबाद के सेक्टर १६ में अग्रसेन चौक में प्रबोधनात्मक अभियान संपन्न हुआ । उस समय पत्रकों का वितरण किया गया । समिति के कार्यकर्ता हाथ में प्रबोधनात्मक फलक लिए थे ।
नामजप, मुद्रा और न्यास के, गर्भवती स्त्री और गर्भ पर आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाले प्रभाव का अध्ययन करने हेतु पिप प्रणाली की सहायता से महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किया गया वैज्ञानिक परीक्षण
श्रीमती ढवळीकर ने आगे कहा कि, अपनी भारतीय संस्कृति में दीप बुझा कर नहीं, अपितु दीप प्रज्वलित कर एवं औक्षण कर जन्मदिन मनाया जाता है। वर्तमान में हिन्दू युवकों में ‘व्हॅलेंटाईन डे’ का फॅड आया है। हमें इन सभी अनिष्ट पाश्चात्य प्रथाओं का संघटित रूप से विरोध करना चाहिए।
महर्षिजी की सूचना के अनुसार परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मनक्षत्र उत्तराषाढा नक्षत्रपर अर्थात २३.२.२०१७ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में ७वां गणहोम किया गया ।
यूं तो संपूर्ण भारत में ही शिव के अनेक मंदिर हैं किंतु उत्तराखंड और हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्रो में ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु भोलेनाथ को नमन करने के अलावा उस मंदिर से जुड़ी प्राचीन व अलौकिक मान्यताओं के कारण भी दर्शन करने आते हैं।