बैसाखी

बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार है । इस त्यौहार को उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब एवं हरियाणा में मनाया जाता है। बैसाखी त्यौहार अप्रैल माह में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। 

दीपावली मेले में सनातन भारतीय संस्कृति संस्था एवं सनातन संस्था द्वारा धर्मप्रसार !

फरीदाबाद (हरियाणा) के बडखल लेक, फाल्कन रेस्टोरेंट के परिसर में चार दिवसीय दीपावली मेले में सनातन भारतीय संस्कृति की ओर से सात्त्विक सामग्री की प्रदर्शनी लगाई ।

राधा कुंड

कार्तिक अष्टमी का ये पर्व यहां प्राचीन काल से मनाया जाता है । राधा कुंड से सम्बंधित प्रचलित कथा के अनुसार कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु महर्षिजी की आज्ञानुसार रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में ९वीं बार गणहोम संपन्न

महर्षिजी की आज्ञानुसार १९ अप्रैल २०१७ को ९वीं बार गणहोम किया गया ।

आश्रम के रसोईघर का रूपांतर आदर्श अन्नपूर्णा कक्ष में करते समय परम पूज्य डॉक्टरजी का अथक परिश्रम और सब स्तरों पर सुनियोजन तथा फलोत्पत्ति बढाने हेतु मार्गदर्शन !

प.पू. डॉक्टरजी ने अन्नपूर्णाकक्ष को सुव्यवस्थित करने के लिए अथक प्रयास किया । आरंभ के दिनों में छोटी-छोटी बातों से अन्नपूर्णाकक्ष की बडी योजनाआें तक उन्होंने व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया और रसोईघर को अन्नपूर्णा-कक्ष बनाया ।

कठिन परिस्थितिका अथवा समस्याका सामना करते समय भगवान श्रीकृष्णके उपरनेके पीछे छिपकर आश्रय लेना

इस चित्रमें भगवान श्रीकृष्णद्वारा धारण किए उपरनेका एक छोर बालभावयुक्त साधिकाद्वारा हठपूर्वक नीचे भूमितक खींचना और इसीसे श्रीकृष्णसे उसकी निकटता स्पष्ट होती है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अनमोल विचार !

किसी भी कार्य के लिए उचित समय आवश्यक होता है । सन्तों को पता रहता है कि किस कार्य के लिए कौन-सा समय उपयुक्त है । अभी ऐसी कोई स्थूल घटना नहीं हो रही, जिससे अनुमान लगाया जा सके कि ‘भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।’ परंतु काल की पदचाप सुननेवाले संत जान गए हैं कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होगी ! निम्नांकित सूत्रों से सभी को काल का महत्त्व ध्यान में आएगा ।

श्री गणेशकी पूजा पूरे भावसे करें, यह भगवान श्रीकृष्णद्वारा सिखाना

‘गणेशचतुर्थीके दिन भगवान श्रीकृष्ण मुझे सिखा रहे हैं कि श्री गणेशजीकी पूजा भावपूर्णरीतिसे कैंसे करनी चाहिए ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधक द्वारा की गई पूजा के फूलों की विविधतापूर्ण रचना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन के कारण साधकों पर जीवन का प्रत्येक कृत्य कलात्मक रूप से तथा सत्यम् शिवम् सुंदरम् करने का संस्कार हो गया है ।

कला के माध्यम से साधकों को ईश्‍वर की ओर ले जानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की अनुभव की आनंददायी सिख !

‘कला की शिक्षा लेते समय मुझे जो सिखने को नहीं मिली, ऐसी सूक्ष्मताएं (बारीकीयां) परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने मुझे साधना में आने पर सिखायी । ‘कला से संबंधित सेवा साधना ही है’, यह भी उन्होंने हमारे मन पर प्रतिबिंबित किया ।